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नहीं पिलाना चाहिए। एक औरत ने लड़ाई करते-करते क्रोध में ही अपने बच्चे को अपने स्तन का दूध पिलाया, आश्चर्य! थोड़ी देर बाद बच्चा मर गया । क्रोध का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह जांचने के लिए एक डॉक्टर ने क्रुद्ध मनुष्य के ख़ून का इंजेक्शन खरगोश को लगाया। आप आश्चर्य करेंगे, थोड़ी ही देर में खरगोश तड़फ-तड़फ कर मर गया। ऐसे लोगों से मेरा अनुरोध है कि शांत रहिए, शांत होने का प्रयास कीजिए और देखिए कि जो वह करने जा रहे हैं क्या वह उचित है। मैं तो लोगों के उफनते हुए दूध में चंद पानी के छींटे डालता हूँ कि क्रोध का यमराज ठंडा हो जाए।
जीवन में मृत्यु तो एक दफ़ा ही आती है लेकिन क्रोध के रूप में यमदूत दिन-प्रतिदिन दस्तक देता है । मैंने सुना है यमराज भैंसे पर बैठकर आता है, लेकिन क्रोध के रूप में वह गधे पर बैठकर रोज़ाना हमारे द्वार पर आता है और आकर परिवार तोड़ता है, पिता-पुत्र के बीच झगड़ा करवाता है, सास-बहू के मध्य विवेक समाप्त करता है, ग्राहक और व्यापारी में दूरियाँ बढ़ा देता है। धार्मिक कर्म-बंधन की दृष्टि से देखा जाए तो यह कर्म और कषायों की सख्त बेड़ियों का निर्माण करता है। जिसने जीवन में क्रोध न करने का संकल्प ले लिया वह जीते-जी ही स्वर्ग में रहता है क्योंकि वैर के निमित्त उत्पन्न होने पर भी यदि वह क्रोध से दूर है तो कौन-सी ताक़त भाइयों को अलग कर पाएगी, कौन परिवार और समाज में दीवार खड़ी कर पाएगा ? क्रोधमुक्त व्यक्ति स्वर्ग में नहीं तो और कहाँ है ! तब सास-बहू के बीच झगड़ा नहीं होगा, देवरानी-जेठानी के मध्य तनाव नहीं रहेगा। फिर ऐसा इंसान सामायिक करे या न करे लेकिन उसके समताभाव के कारण वह सदा सामायिक में ही माना जाएगा।
परिवार के टूटने का कारण धन-सम्पत्ति, ज़मीन-जायदाद नहीं होते हैं, कारण कहीं कुछ और होता है। या तो बड़ा भाई छोटे भाई की उपेक्षा कर रहा होता है, या छोटा बड़े का अपमान कर बैठता है। इस उपेक्षा और अपमान की प्रतिक्रिया स्वरूप ही क्रोध पैदा होगा और यही क्रोध परिवार में और समाज में बँटवारा करवा देगा।
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आखिर क्यों ? क्योंकि क्रोध कभी अकेला नहीं आता। उसका भी अपना परिवार है और आपके चाहे अनचाहे वह भी सपरिवार आता है । क्या आप जानते हैं कि क्रोध की माँ है उपेक्षा बाई और पिता हैं घमंडीरामजी । जब उपेक्षा और घमंड आपस में मिलते हैं तो क्रोध या गुस्से का जन्म होता है। क्रोध की पत्नी है हिंसा और नफ़रत उसका मित्र है। यह निंदा और चुगली नामक अपनी बेटियों से बहुत प्यार करता है। इसने वैर और विरोध इन दोनों बेटों को ज़रूरत से ज़्यादा सिर चढ़ा रखा है। स्वार्थचंद नाम से उसका जंवाई भी है । अब इतना बड़ा परिवार है तो क्रोध भला अकेला कैसे आ सकता है ? अपने पूरे ख़ानदान को लेकर ही । जब आपने उसे निमंत्रण भेजा है तो सपरिवार ही आएगा न् ? अकेला आना उसे अच्छा नहीं लगता । सावधान ! जो एक पल के लिए भी क्रोध करता है वह अपने पूरे भविष्य को बिगाड़ लेता है। जो क्रोध
आता
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