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के भरोसे मैं बची और आज भी उसी ने जीवनदान दिया है।
ऊपरवाले के हाथ हज़ार हैं, उसके नैन हज़ार हैं – वह किस रूप में आकर हमें थाम लेगा कहा नहीं जा सकता।
चिंतामुक्त जीवन जीने का एक सरल मार्ग यह भी है कि-बीती ताहि बिसार दे। जो हो गया सो हो गया अब वह लौटकर आने वाला नहीं है। बीते का चिंतन न कर. छट गया जब तीर. अनहोनी होती नहीं. होती वह तक़दीर । अगर हमें याद रखना है तो अच्छी चीज़ों को याद रखें और बुरी चीज़ों को भूल जाएँ।
__ भीतर आती साँस अच्छी यादों को अन्दर लेने की प्रेरणा देती है, बाहर निकलती साँस बुरी यादों को बाहर उलीचने का बोध देती है। साँस के साथ अच्छाइयों को अंदर लो, साँस के साथ बुराइयों को बाहर छोड़ो। मीरा तो विपरीत वातावरण के बावजूद चूँघरू बाँधकर नाच उठी, फिर हम ही क्यों बेड़ी बाँधकर बैठे रहें।
बचपन में सुना हुआ वो गीत सदा अपने पल्ले बाँध लें - समझौता ग़मों से कर लो, ज़िंदगी में ग़म भी मिलते हैं। पतझड़ आते ही रहते हैं, कि मधुबन फिर भी खिलते हैं । समझौता ग़मों से कर लो... | ज़िंदगी में समझौतावादी नज़रिया होना चाहिए। प्रकृति की व्यवस्थाओं में राज़ी रहने की आदत होनी चाहिए। हम जैसा चाहते हैं, हमारी नियति हमें वैसा ही नहीं देती। तब फिर निराश होने की बजाय क्यों न जो नियति और प्रकृति हमें देती है, हम उसमें राज़ी होना सीख जाएँ।
जीवन में शांति लाएँ, नई उम्मीद जगाएँ, नया उत्साह जगाएँ, नई ऊर्जा के साथ शांति, सफलता और मुक्ति के रास्ते पर अपना क़दम बढ़ाएँ।
LIFE
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