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लड़के का जवाब, 'मैंने पढ़ाई छोड़ दी है।' 'कितनी उम्र है आपकी?' 'बीस साल की।' 'कहाँ तक पढ़ाई की?' 'बारहवीं तक।'
बारहवीं तक पढ़ाई की और छोड़ दी? अभी तो पैदा हुए हो और अभी छोड़ दी! पढ़ाई की जब उम्र होती है तब तो व्यक्ति पढ़ाई छोड़ देता है और जब पढ़ाई की उम्र बीत जाती है तो आदमी जिंदगी भर खेद करता रहता है कि काश ! मैं थोड़ा और पढ़ जाता तो कितना अच्छा होता। मेरे भाई, पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। अगर आपको लगता है कि आप बीस साल के हो गए हैं, पर अब पढ़ना चाहते हैं तो आप इस साल से फिर अपनी पढ़ाई शुरू कर सकते हैं।
आज कन्याओं का, महिलाओं का जितना विकास हुआ है, उसके पीछे एक ही हाथ है और वह है उच्च शिक्षा। अगर शिक्षा के मामले में पच्चीस वर्ष की उम्र पढ़ाई-लिखाई की होती है, और अगर उस उम्र को हमने कमाने के लिए लगा दिया तो याद रखो पच्चीस साल की उम्र के बाद अर्थ का अर्जन तो खूब करना है, पर ज्ञान का अर्जन पच्चीस साल के बाद नहीं कर पाओगे। इसलिए जो लोग पच्चीस साल की उम्र से छोटे हैं वे अपने आपको वापस ज्ञान के रास्ते से जोड़ें।
ध्यान रखिए केवल भाग्य भरोसे धोनी या सचिन तेन्दुलकर नहीं बना जा सकता। भाग्य साथ दे तो सफलता की रौनक चार गुनी बढ़ जाती है, पर हर सफलता की बुनियाद के पीछे कड़ी मेहनत, ऊँचा लक्ष्य और तकनीक की बहुत बड़ी भूमिका है।
सफलता के रास्ते पर बढ़ने के लिए पाँचवाँ चरण है : जीवन में आने वाली मुश्किलों का सामना करने को तैयार रहें। मानकर चलें कि जीवन में मुश्किलें और मुसीबतें ज़रूर आएँगी। हर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों का कैसे किया जाए इसकी तैयारी आज ही कर ले। दिन के उजालों में चलते वक़्त रात के अंधेरों का सामना कैसे किया जाए, उसका प्रबंध दिन के उजालों में ही किया जाना चाहिए। जीवन में हालात तो मौसम की तरह बदलते रहते हैं। जीवन के इस मर्म को, रहस्य को याद रखिए। विपरीत हालातों से सामना करने को यदि आप तैयार नहीं रहेंगे तो हालातों से हार खा बैठेंगे और घुटने टेकने पड़ेंगे। हमें सूरज की तरह होना चाहिए कि चाहे कोहरा छाए या बादल मंडराए हम हर हालात का सामना करने को तैयार रहें।
जिन परिस्थितियों का हम सामना कर सकते हों, हमें उसके लिए तैयार रहना चाहिए। पर यदि कोई परिस्थिति प्रकृति या विधाता के घर से बन गई है, तो उससे समझौता कर लीजिए। बाधाएँ आखिर जीवन की
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