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पाए तो आप ख़्यालों के अंडे भर हैं ।
जीवन में लक्ष्य निर्धारित कीजिए। हर वर्ष का, हर महीने का लक्ष्य निर्धारित कीजिए। लक्ष्य निर्धारित करके लगन के साथ कड़ी मेहनत की जाए, तो ज़िंदगी के डूबते जहाज़ को भी तारा / उबारा जा सकता है। आपने देखा होगा मैग्नीफाइंग ग्लास को । उस पर सूरज की रोशनी दी जाए और उसे कागज़ पर एक जगह केन्द्रित कर दिया जाए तो कागज़ में आग लग जाती है। सच्चाई तो यह है कि केवल कागज़ ही नहीं, गत्ते का पुट्ठा तक जलने लगता है। बस ज़रूरत होती है लगातार लगातार केन्द्रित करने की । स्वयं की एकाग्रता को केन्द्रित करने के लिए आजकल विशेष प्रकार की तस्वीरें आने लगी हैं। ऊपर से देखो तो घिच - पिच नज़र आता है, ख़ुद की आँखों को लगातार उसमें केन्द्रित करो या लगातार उसमें अपनी परछाई देखो तो अचानक उसमें से वह नज़र आने लगता है जो कि हक़ीकत में उसमें व्याप्त होता है । ॐ के, महावीर के, सांई के कई तरह के चित्रों की जादुई तस्वीरें आने लगी हैं। ये तस्वीरें हमें प्रेरणा देती हैं कि लक्ष्य के प्रति एकटक / एकनिष्ठ बनें ।
याद कीजिए उस कहानी को जिसमें दो शख्स एक साथ दौड़ना शुरू करते हैं। खरगोश और कछुआ । दोनों साथ-साथ दौड़ते हैं तो तय है जीतेगा खरगोश, मगर विश्वास रखिए जीत उसकी है जो लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है । भले ही आप किसी खरगोश की तरह तेज-तर्रार हैं, पर यदि आपने खरगोश की तरह आलस्य का जीवन शुरू कर डाला, तो मानकर चलें कि आप मात खा सकते हैं। वहीं हम यदि कछुए की तरह धीमी रफ़्तार के लोग हैं, पर यदि एकनिष्ठ होकर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हो चुके हैं, तो तय है जीत आपकी होगी।
कछुए और खरगोश की कहानी हर किसी निराश हताश व्यक्ति के लिए प्रकाश की किरण के समान है । इस कहानी को ज़िंदगी भर याद रखा जाए कि जीवन में कौन सफल होगा, कौन जीतेगा? वही जिसके भीतर जीतने का जज्बा है, जिसके मन में जीतने का विश्वास है 1
सफलता के रास्ते का चौथा स्टेप है : कार्य-योजना । जिस लक्ष्य को हमें प्राप्त करना है उसकी कार्ययोजना हर व्यक्ति के सामने होनी चाहिए। सफलता के रास्ते पर यात्रा करने के लिए नक्शा पहले बना लेना चाहिए । बग़ैर नक्शे के उठाए गए क़दम आपको भटका सकते हैं। एक लेखक अगर लेख लिखता है तो पहले अपने दिमाग़ में उसका पूरा चिंतन कर लेता है, एक वक्ता अगर अपना वक्तव्य दे रहा है तो देने से पहले आज उसे क्या बोलना है उसकी मानसिकता बना लेता है, एक सेनापति अगर युद्ध लड़ता है तो युद्ध की व्यूह रचना तैयार कर लेता है। हर आदमी जो कि प्लानिंग के साथ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता है, सफलता उसके क़दमों में अवश्य आती है। जैसे मान लीजिए - आपमें से वो सामने जो लड़का बैठा है जरा बताए कि आप कौन-सी क्लास में पढ़ रहे हैं ?
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