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________________ असंभव भी संभव हो गया। तुम तबियत से पत्थर उछालो। तुम पाओगे जो लोग दुर्भाग्य का सामना कर रहे हैं वे भी उस दुर्भाग्य को छलनी कर देते हैं, और इस तरह सौभाग्य का रास्ता खोल लिया करते हैं। सफलता के रास्ते का तीसरा स्टेप है : हमें अपने जीवन में क्या बनना है, इसका लक्ष्य आज, अभी, इसी समय निर्धारित कर लें । बगैर लक्ष्य के छोड़ा गया तीर व्यर्थ ही चला जाया करता है और बगैर लक्ष्य के चलाया गया जहाज़ समुद्र में भटक जाया करता है । बगैर लक्ष्य से की जाने वाली लड़ाई सेना को मार गिराया करती है। ज़िंदगी में अगर किसी व्यक्ति को कुछ बनना है तो उसके सामने उसका लक्ष्य होना चाहिए। न केवल लक्ष्य होना चाहिए वरन् लक्ष्य भी स्पष्ट होना चाहिए। न केवल लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए वरन् लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता भी होनी चाहिए। लक्ष्य के प्रति यदि हम प्रयत्न नहीं करेंगे तो मानकर चलना कि लोग लक्ष्य तो बनाते रहते हैं, पर लक्ष्य को उपलब्ध नहीं कर पाते। बेहतर लक्ष्य, कड़ी मेहनत और मनोयोग का योग हो, लगन के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ा जाए, तो बाटा और टाटा की ऊँचाई हासिल की जा सकती है। लोहे का काम करने वाला लुहार कहलाता है और जूते का काम करने वाला मोची कहलाता है। पर सफलताएँ कैसे हासिल की जाती हैं कोई इससे समझे कि लोहे का काम करके भी कोई टाटा बन जाता है और जूते का काम करके भी कोई बाटा बन जाता है। किसी को लुहारी करने का कहो तो मुँह सूज जाता है और किसी को मोचीगिरी करने का कहो, तो हाथ-पाँव ठंडे हो जाते हैं, पर याद रखो हर किसी टाटा और बाटा की शुरुआत किसी छोटे स्तर पर ही हुई होगी। लक्ष्य को साथ लेकर अगर चार क़दम भी चलो तो भी सार्थक है। बगैर लक्ष्य के चले गए हजार क़दम भी परिणाम-शून्य हैं। हर आदमी जब नया वर्ष लगता है तो कहता है कि मैं इस साल में ये-ये काम करूँगा, मगर आदमी वैसा नहीं कर पाता। अगर आपने इस वर्ष की शरुआत में दस संकल्प लिए थे. उनमें से यदि आप आठ भी पूरे कर चुके तो मानकर चलना कि आपने बहुत बड़ी सफलता अर्जित की है। अगर आपने दस में से पाँच काम भी कर डाले तो संतोष करना कि आप कुछ कर गुज़रने में सफल हुए। जो दस में से तीन काम भी मुश्किल से कर पाया है, तो मानकर चलें कि आप असफल हुए और जो एक काम भी पूरा नहीं कर पाया तो समझ लें कि वह केवल शेखचिल्ली है जो रात-दिन केवल अंडों को बनाता रहता है, महलों को गढ़ता रहता है पर महल तो तब बनेंगे न् जब तुम्हारे अंडे सुरक्षित रहेंगे। तुम तो केवल ख्वाबों के अंडे बनाते रहोगे और उबालते रहोगे, बेचते रहोगे, फोड़ते रहोगे तो महल कहाँ से बनेंगे। शेखचिल्ली की तरह विचार करते रहे तो सावधान रहना। ऐसे ख्याली पुलाव से पेट नहीं भरने वाला। व्यक्ति वर्ष का लक्ष्य निर्धारित करे। उसे पूरा करने के लिए भी दत्तचित्त हो । यदि आप दस संकल्प ले चुके हैं आप उन में से आठ पूरे कर चुके हैं तो आप कमल के फूल हैं । अगर आप दस में से पाँच संकल्प पूरे कर चुके हैं तो आप गुलाब के फूल हैं । यदि आप तीन संकल्प पूरे कर चुके हैं, तो आप गुड़हल के फूल हैं और अगर आप एक भी संकल्प पूरा नहीं कर LIFE 114 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003860
Book TitleLife ho to Aisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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