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________________ स्थिति: शुद्धि और मुक्ति एक सूफी फकीर अपनी कुटिया में सोया था। उस रात उसने एक विचित्र स्वप्न देखा । स्वप्न में उसने देखा कि उसकी कुटिया से कोई छ: किलोमीटर दूरी पर एक नदी है। नदी पर पुल है। पुल पार करें तो एक खंभा नजर आता है। इस खंभे के नीचे अपार धन-सम्पदा छिपी है। फकीर की आँख खुल गई। ऐसा सपना उसने पहले कभी नहीं देखा था । उसने कुछ सोचा, पर फिर उसे एक सामान्य स्वप्न मानकर वह सपने को भूल गया। पर आश्चर्य, अगली रात उसे फिर वही स्वप्न आया कि उसकी कुटिया से कोई छ: किलोमीटर दूरी पर एक नदी है। नदी पर पुल है । पुल पार करें तो एक खंभा नजर आता है। इस खंभे के नीचे अपार धन-सम्पदा गड़ी है । और फिर उसकी आँख खुल गई। वह बहुत बैचेन हो गया। तीसरे दिन उसे फिर वही स्वप्न आया तो उससे रहा नहीं गया । अगली सुबह वह उठते ही कुटिया से चल पड़ा। करीब छ: किलोमीटर दूर उसे नदी नजर आई। वहाँ उसने देखा कि स्वप्न में उसे जैसा खंभा दिखाई दिया था, वैसा ही खम्भा वहाँ था । वह खंभे तक पहुँचा पर उस खंभे के नीचे एक सैनिक बैठा था। फकीर की हिम्मत नहीं हुई कि वह खंभे के नीचे गड्ढा खोद कर स्वप्न में देखा धन निकाल सके। फकीर वहाँ से लौट आया। अगले दिन वह फिर गया, मगर सैनिक वहीं बैठा नजर आया। पांच दिन बीत गए । फकीर वहाँ जाता और सैनिक को बैठे देखकर लौट आता । छठे दिन उस सैनिक ने फकीर से पूछ ही लिया-' फकीर साहब! आप पिछले पांच दिनों से यहाँ आ रहे हैं और मुझे देखकर लौट जाते हैं । आखिर बात क्या है ?' फकीर पहले तो सकुचाया पर सैनिक के आग्रह करने पर Jain Education International 61 For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org
SR No.003859
Book TitleAdhyatma ka Amrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2010
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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