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________________ बाबा फंस सके । जाप - जवाब - सब शब्दों की ही व्यवस्था है । मुझसे यह आशा मत रखना कि मैं कोई सही जवाब दूंगा । जो जी में आया, मेरे लिए तो वही जवाब । कहते हैं कि बाबा के पास कोई रानी पहुँची । उसका पति उससे नाखुश था । रानी ने बाबा से कहा- कुछ ऐसा करो, कोई ऐसा ताबीज बना दो, जिससे सम्राट मुझसे मिले-जुले । बाबा हंसे। एक कागज पर कुछ लिख दिया । संयोग की बात, राजा-रानी से बोलनेमिलने लगा। रानी ने इसे बाबा का चमत्कार माना। रानी ने राजा को वह ताबीज भी दिखाया, जो बाबा से उसे मिला था। राजा ने ताबीज खोला, पर्चा पढ़ा, गजब ! ताबीज में लिखा था राजा-रानी दोनों मिले, तो इससे आनंदघन को क्या लेन-देन । 'जाप न जानूं जवाब न जानूं' आनंदघन कहते हैं मुझसे यह उम्मीद मत करना कि तुम्हें खुश करने वाला, जी - हजूरी करने वाला जवाब मिलेगा। मुझे प्रवचन देने का भी न्यौता मत देना। मैं कोई प्रवचनकार नहीं हूँ। मैं तो अनुभव का अध्येता हूँ। जैसा अनुभव किया है, वैसा सुनना - समझना चाहते हो, तो मेरी तुमसे बात बन जाएगी । 'भाव न जानूं भगति न जानूं, जानूं न सीरा - ताता ।' भाव और भक्ति, ठंडा और गर्म इसकी सुध मुझे नहीं है। मुझे कोई भक्त कवि मत समझना । किसी को ठंडा या गर्म कैसा करना, इसका मुझे पता नहीं है। मैं वैज्ञानिक भी नहीं हूँ। विज्ञान तो बहुत बड़ी बात है, मुझे ज्ञान भी नहीं है। ज्ञान ही नहीं तो विज्ञान कैसे, ज्ञान का प्रकर्ष कैसे ? मेरे भजन कोई भजनामा लिखना नहीं हैं । यह कोई पंचनामा नहीं है मैंने तो लिखना पढ़ना, गाना-बजाना, बोलना - बतलाना सब छोड़ दिया है । अब करने का कोई भाव ही नहीं है । प्रभु जैसा चाहे, करे । लहरें भाव को जिधर ले जाना चाहें, ले जाएं। मैंने तो 'आनन्दघन प्रभु के घरिद्वारै, रटन करूँ गुणधामा' - अपना सिर अपने प्रियतम के चरणों में अर्पित कर दिया है। 'चरणम् शरणम्' - चरणों की शरण हूँ। मैं तो बस अपने सिर को परमात्मा के चरणों में रखकर दिन-रात उसी का ध्यान और स्मरण कर रहा हूँ। मेरी ओर से अब न कोई क्रिया है, प्रतिक्रिया । जो कुछ है सो सब उसका । न Jain Education International सो परम महारस चाखै / १०७ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003857
Book TitleSo Param Maharas Chakhai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1999
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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