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६४ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. पुस्तक श्रागल सार ॥चोस कलशा नामीए, जिनपमिमा जयकार ॥ ए ॥ पूजासामग्री रची, जरी फल नैवेद्य थाल ॥ ज्ञानोपकरण मेलवी, ज्ञाननक्ति मनोहार ॥ १० ॥ जलकलशा चोस नरी, धरीए पुरुषने हाथ ॥ तीर्थोदक कलशा नरी, चोसठ कुमरी हाथ ॥११॥ चोस वस्तु मेलवी, मंडल रचीए सार ॥ मंगलदीवो राखीए, पुस्तक मध्य विचाल ॥ १२ ॥ स्नात्र महोत्सव कीजीए, पूजा अष्ट प्रकार ॥ ज्ञानावरण हगववा, अठ अनिषेक उदार ॥ १३ ॥ ॥अथ प्रथमदिवसेऽध्यापनीयज्ञानावरणीयकर्मसूदनाथ प्रथमपूजाष्टकप्रारंनः ॥
॥ तत्र॥ ॥प्रथम जलपूजा प्रारंनः॥ ॥राग जोगी आशावरी॥मोतीवाला जमरजी॥ए देशी॥ __॥चरम प्रमुख चंद्रमा, सखि ! देखण दीजे ॥ हाथ थारिसा बिंबरे, सखि! मुने देखण दीजे ॥ बप्पन दिग्कुमरी कहे॥सखिण्॥ विकसित मेघकदंब
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