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दादासाहेबनी पूजा. जिनदत्त सूरीदके पटधारी, जये दादा पूजा सुखकारी॥ गु०॥५॥राशल पितु देव्हणदे माता,श्रीमाल गोत्र बोधनशाता, दिल्ली पतसाह सुगुण गाता॥गु॥६॥ जसु चौथे पाट उद्योतकरी, जिनकुशल सूरीद अति हर्षनरी,तेरासै तीसे जनम धरी॥ गु॥७॥जसु जिला जनक जगत्र जीयो,वर जैत सिरी शुज स्वपन लीयो, गुरु जेम गोत्र उकार कीयो ॥ गु० ॥ ७॥ धन सैंतालीसे दीद धरी, जिनचंद सूरीश्वर पाट वरी, गुणदतरे सूरिमंत्र जाप करी ॥ गु० ॥ ए ॥ सेवामें बावन वीर खरा, जोगणीया चोस हुकम धरा, गुरु जगमें कश् उपकार करा ॥ गु० ॥ १० ॥ माणक सूरीश्वर पद बाजे, जिनचंद सूरि जगमें गाजे, जये दादा चौथे सुख काजे ॥ गु० ॥ ११॥ जिन चांद उगायो उजियालो, अम्मावसकी पूनमवालो, सब श्रावक मिल पूजन चालो ॥ गु० ॥ १२ ॥ जिन थकबरको परचा दीना, काजीकी टोपी वश कीना, बकरीका नेद कह्या तीना ॥ गु०॥॥ १३ ॥ गंधोदक सुरनि कलश जरी, प्रदालन सशुरु चरण परी, या पूजन कवि झिसार करी ॥ गु० ॥ १४ ॥
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