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________________ ՍԱԵ विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. कर. पी वली प्रथमनी पेठे लूण पाणी लइने मुखी घ्यावी रीते गाथा कदेवी : ॥ दोहा ॥ सवं मुवि जल विजय, तं तह जमलइ पास ॥ श्रव कयंतसुनिम्मलू, निग्गुण बुद्धि पयास ॥ १ ॥ जल आणे विणु जलविह पासह, जर विकयंजलि नाविहिं पासह ॥ तिन्नि पया हि दिंतिय पासह, जिम जिन बुट्टई जव कुह पासह ॥ २ ॥ जल निम्मल कर कमल हि ले विणु, सुरवर जावहि मुविइ से विणु ॥ पण जिवर तुह पर सरणं, जय तुटइ लग्नइ सिद्धि गमणं ॥ ३ ॥ ए गाथा कही लूप पाणी उतारीने जलशरण करवुं. त्यारपठी माला लई उजा रहीने या प्रमाणे गाथा कहेवी: ॥ अथ पुष्पमालपूजा गाथा ॥ ॥ उन्नय पुजय जत्तस्स, निय ठाणे संवियं कुणं तस्स ॥ जिए पासे जमिय जिणस्स, निय ठाणे संवियं तस्स ( पाठांतरे ) पिछतुद हुय व पणं ॥ १ ॥ सो जिप्पजावो, सरिसा सरिसेसु जेण रच्चंति ॥ सवन्नू मपासे, जमस्स जमणं ण संकमणं ॥ २ ॥ अच्चंत डुक्करं विदु, दुधवद निवमेण जडेण कथं ॥ आणा सवन्नूणं, न कया कयछ मूलमणिं ॥ ३ ॥ ए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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