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४४० विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. नेम जिणंदा॥तोरां चरण॥कुसु॥३॥गाथा आर्या ॥ गंधा ड्डियमहुयर, मणहर ऊंकारसदसंगीया ॥ जिणचलणोवरि मुका, हरउ तुम्ह कुसुमांजलि पुरियं ॥१॥ एम कही कुसुमांजलि चढावीए॥इति तृतीय कुसुमांजलिः॥३॥नमोऽहत सि॥ कहीए॥
॥ ढाल (चाल) ॥अगर कपूर धूप कर वासीजे, करसंपुट चंदन चरचीजे ॥ कुसुमांजलि म्हेलो पास जिणंदा ॥ तोरां चरण ॥ कुसु० ॥४॥ वस्तुबंद ॥ मुक जिणवर मुक्क जिणवर न्हवणकालं मि, कुसुमांजति सुरवरहिं, महमहंति तिहुयण महहिय, निवमंतु जिणपयकमलिं, हरउ पुरिय सिरिसमणसंघह ॥ पास जिणंदह पयकमलिं, देविहिं मुक्कसंतोस ॥ सा कुसुमांजलि अवहरउ, नवियह ऊरिय असेस ॥१॥ एम कही कुसुमांजलि चढावीए ॥ इति चतुर्थ कुसुमांजलिः॥४॥ नमोऽर्हत् सि ॥ कहीए
॥ ढाल ॥ (चाल)॥सरस सेवंतरीमालती माला, गुण गावे एम कवि देवपाला॥षन अजित संनव गुण गाजं, अनंत चोवीशी जिननी उलग पाजं ॥ कुसुमांजलि म्हेलो वीर जिणंदा ॥ तोरां चरण ॥ कुसु ॥ ५ ॥ वस्तुबंद॥जाइजुहिं जाजुहिं कुंद
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