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श्रीदेवपालकविकृत स्नात्रपूजा. ५३ हाथमां कुसुमांजलिथापी,प्रजुनी जमणी बाजुपाटला उपर उन्नो राखीए. पडी नमोऽहत् सि ॥ कहीए ॥
॥ढाल (चाल)॥पवित्र उदक ले अंग पखाली, विविध वस्त्र जादव चिरमाली ॥ कुसुमांजलि म्हेलो
आदि जिणंदा, तोरां चरणकमल सेवे चोसठ इंदा ॥ कुसुमांजलि ॥ १॥ गाथा आर्या ॥ सयवत्त कुंद मालइ, बहुविद कुसुमाश् पंचवन्नाई॥ जिणनाहन्दवणकाले, दिति सुरा कुसुमांजलि दिहा ॥१॥ एम कही प्रजुना चरणे कुसुमांजलि चढावीए॥इति प्रथम कुसुमांजलिः ॥ १॥ नमोऽहत् सि ॥ कहीए ॥
॥ ढाल (चाल) ॥ सिंहासण सामी थापीजे, पयकमले कुसुमांजलि दीजे ॥ कुसुमांजलि म्हेलो शांति जिणंदा ॥ तोरां चरणकमल सेवे चोसठ इंदा ॥ कुसु० ॥२॥ गाथा दोहा ॥ जा मुकिय सुरासुरेहि, मजाण पढम जिणेस ॥ सा कुसुमांजलि अवहरज, नवियह ऊरिय असेस ॥१॥एम कही कुसुमांजलि चढावीए ॥ इति द्वितीय कुसुमांजलिः ॥ २ ॥ नमोऽहत् सि ॥ कहीए ॥
॥ढाल (चाल)॥कनककलश जल निर्मल जरीए, सामीने शिर पर एहवणज करीए॥कुसुमांजलि म्हेलो
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