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३५० विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. ब्रह्मा ईश्वर वमनागी जी ॥ १०॥ योगीश्वर विदित वैरागी जी ॥ अ॥४॥ एहवा देवाधिदेवने पूजे जी ॥ १०॥ जवनवनां पातक भ्रूजे जी॥०॥जेम कीरयुगल नवपार जी ॥ १०॥ लहे अदत पूज प्रकार जी॥ अ०॥५॥ काव्यं ॥ सकलमंगलसंजवकारणं, परममदतनावकृते जिनं ॥ सुपरिणाममयैरहमदतैः, परमया रमया युतमर्चये ॥ इति षष्ठादतपूजा समाप्ता ॥६॥ ॥अथ सप्तम फलपूजा प्रारंनः॥
॥दोहा॥ ॥श्रीकार उत्तम वृदाना, फल लेश्नर नार ॥ जिनवर आगे जे धरे, सफलो तस अवतार ॥१॥ फलपूजानां फल थकी, कोमि होय कल्याण ॥ अमर वधू उलट धरी, तस धरे चित्तमां ध्यान ॥२॥
॥ ढाल सातमी ॥ बिंदलीनी देशी ॥ ॥ फलपूजा करो फलकामी, अनिनव प्रजु पुण्ये पामी हो ॥ प्राणी जिन पूजो ॥ श्रीफल अखोक बदाम, सीताफल दामिम नाम हो ।प्रा०॥१॥जमरुख तरबुज केला, निमजां कोहला करो नेलां हो ॥
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