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________________ ३४४ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. ॥अथ द्वितीय चंदनपूजा प्रारंजः ॥ ___॥ दोहा॥ ॥ हवे बीजी चंदन तणी, पूजा करो मनोहार ॥ मिथ्या ताप अनादिनो, टालो सर्व प्रकार ॥१॥ पुजल परिचय करी घणो,प्राणी थयो पुर्वास ॥सुगंध अव्य जिनपूजने, करो निज शुरू सुवास ॥२॥ ॥ ढाल बीजी ॥ मनथी मरणां, परनारीसंग न करणां ॥ ए देशी ॥ ॥ नवि जिन पूजो, मुनियामां देव न दूजो॥जे थरिहा पूजे, तस नवनां पातक भ्रूजे ॥ न॥१॥ प्रजुपूजा बहु गुण नरी रे, कीजे मनने रंग ॥ मन वच काया थिर करी रे, अरचो अरिहा अंग॥ज० ॥२॥ केसर चंदन घसी घणुं रे, मांहे नेली घन. सार ॥ रत्नकचोली मांहे धरी रे, प्रजुपद चर्चा सार ॥ न० ॥३॥ नवदवताप शमाववा रे, तरवा नवजलतीर ॥ आतमस्वरूप नीहालवा रे, रुडो जगगुरु धीर ॥ न० ॥४॥ पद जानु कर अंश शिरे रे, नाल गले वली सार ॥ हृदय उदर प्रजुने सदा रे, तिलक करो मन प्यार ॥ ज० ॥५॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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