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३३२ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. रे ॥ दर्शन तेहीज आतमा, शुं होय नाम धरावे रे॥ वीर ॥७॥इति षष्ठ सम्यक्त्वदर्शनपदपूजा समाप्ता॥ ॥ अथ सप्तम सम्यग्झानपदपूजा प्रारंनः ॥
॥ काव्यं ॥ अवज्रावृत्तम् ॥ ॥ अन्नाणसंमोहतमोदरस्स। ॥नमो नमो नाणदिवायरस्स ॥
॥नुजंगप्रयातवृत्तम् ॥ ॥ होये जेहथी झान शुद्ध प्रबोधे, यथावरण नासे विचित्रावबोधे॥ तेणे जाणीए वस्तु षड् अव्य नावा, न हुये वितळा ( वाद) निजेठा खजावा ॥१॥ होय पंच मत्यादि सुझाननेदे, गुरूपास्तिथी योग्यता तेह वेदे॥वली ज्ञेय हेय उपादेयरूपे, लहे चित्तमां जेम ध्वांत प्रदीपे ॥२॥
॥ ढाल ॥ उलालानी देशी॥ ॥ नव्य नमो गुणज्ञानने, स्वपर प्रकाशक नावे जी॥ परजय धर्म अनंतता, नेदानेद खनावे जी ॥१॥ जलालो ॥ जे मुख्य परिणति सकल झायक, बोध नाव विलना॥मति आदि पंच प्रकार निर्मल, सिक साधन ललना॥ स्याहादसंगी तत्वरंगी,प्रथम नेदा
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