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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. ॥ अथ मंत्रः ॥
॥ ॐ श्री परम० ॥ अगुरुलघुगुणप्रापणाय नैवेद्यं य० ॥ स्वा० ॥ इति अगुरुलघुगुणप्रापणार्थं सप्तम नैवेद्यपूजा समाप्ता ॥ ७ ॥ ५५ ॥
॥ अथाष्टम फलपूजा प्रारंभः ॥
॥ गोत्रकरम नाशे करी, सिद्ध हुआ महाराज ॥ फलपूजा तेहनी करी, मागो अविचल राज ॥ १ ॥
|| ढाल आमी ॥ केरबानी देशी ॥
॥ मेंबी सेवक तोरा पायका, डुनियांके सांई ॥ सेवक हम केश् कालका, दुनियां के सांई ॥ मेंबी से० ॥ एकणी ॥ सुणीए देवाधिदेवा, फलपूजाकी सेवा, दीजीए शिवफल राजीए ॥ ० ॥ में० ॥ परिशाटन थइ, अफुसमाण गर, जीत्यो जगत् केरी बाजीए ॥ ० ॥ में० ॥ १ ॥ गोत्रकरम हरी, ज्योतसें ज्योत मली, आप बिराजो रंग महेलमें ॥ ० ॥ में० ॥ सुख अनंत लहे, सेवक दूर रहे, लाजीए अमो सारा शहरमें ॥ डु० ॥ में० ॥ २ ॥ संसारसुख लीयो, वग्ग अनंत कीयो, तोजी न एक प्रदेशमें ॥ ० ॥
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