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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम.
॥ अथ ॥
सप्तमदिवसेऽध्यापनीयगोत्रकर्मसूदनार्थं
सप्तमपूजाष्टक प्रारंभः ॥
॥ तत्र ॥
॥ प्रथम जलपूजा प्रारभ्यते ॥ ॥ दोहा ॥
॥ गोत्रकरम हवे सातमुं, व्याप्युं इणे संसार ॥ गोत्रकरम बेद्या विना, नवि पामे जवपार ॥ १ ॥ चक्रम संयोगथी, घमतो घट कुंनार ॥ घी जरीयो घट एकमे, बीजे मदिरा बार ॥ २ ॥ उंच नीच गोत्रे करी, जरीयो या संसार ॥ कर्मदहन करवा जणी, पूजा अष्ट प्रकार ॥ ३ ॥
॥ ढाल पहेली ॥ राग अलैयो ॥ बिलावल ॥ में कीनो नहीं, प्रभु विना रशुं राग ॥ ए देशी ॥
॥ केशरवासित कनक कलशशुं, जलपूजा यमिषेक ॥ सम तिरंगे सद्गुरु संगे, धरतो विनय विवेक ॥ को सही, या रीत गोतको बंध ॥ या रीत गोतको बंध ॥ में की० ॥ या० ॥ १ ॥ ए आंकणी ॥ बहुश्रुत
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