SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (७६) पंमियाहिं ॥ जासुरयं ॥ ३० ॥ वंससद्द तंति ताल मेलिए, तिजकरा जिराम सद मीसए कए ा सुइसमाणणे अ सुद्ध सतगीय पाय जाल घंटियाहिं वलय मेहलाकलाव नेउराजिराम सद्द मीसए का देवनहियाहिं हाव नाव विनम प्पगारएहिं ॥ नचिऊण अंगहारएहिं वंदियाय ज स्स ते सुविकमा कमा ॥ तयं तिलोय सब सत्त संतिकारयं ॥ पसंत सब पावदोसमेसहं नमामि संति मुत्तमं जिणं ॥ नाराय ॥ ३१ ॥ बत्त चामर पड़ा ग जूव जव मंमिया ऊयवर मगर तुरय, सिरि व सुलंबणा || दीव समुद्द मंदर दिसागय सो हिया ॥ सविसह सीह रह चक्कवरं किश्रा ॥ पाठांतर ॥ सिरिव सुलंबणा ॥ लवि यं ॥ ३२ ॥ सहा वला समप्पा, दो सहा गुणेहिं जिठा ॥ पसा यसिद्धा तवेण पुछा, सिरीहिं इठा रिसीहिं जुठा ॥ वा वासिया ॥ ३३ ॥ ते तवेण धुआ सब पावया, सबलो हिश्रमूल पावया ॥ संथुआ जिसंति पायया, हुंतु मे सिवसुहाण दायया ॥ अपरांतिका ॥ ३४ ॥ एवं तव बल विजलं, थुखं मए जिसंति जिल जुलं ॥ ववगय कम्मरय मलं, गई गयं सासयां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy