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(५५) गह सासय चजनामा, सोलस पडिमाज यूनेसु ॥४३॥ उसनस्स समोसरणा, पय पंकय अंकणार्ड सिव गमणा॥ तव लकी रोहगसिकि, उय अहावयं मि थुणे ॥ उसनं ॥४४॥ सुर असुर खयर नर वर, सुरिंद वंदिङमाण जिण नवणं ॥ अहावय गिरितिब, नंदन जावीर जिणति ॥ ४५ ॥ जा यवकुल सिरितिल, नेमी वय ग्गहण नाण गि वाणे ॥ जहिं पत्तो सो नंदउ, उजांतो तिगुणमि हति ॥४६॥ तं रेवय गिरितिबं, तिलोयसारं तिलोय जण महियं ॥ गणे तिलोय तिल, ति लोय पहु नेमि जहिं पत्तो ॥ ४७ ॥ रेवयगिरि म्मि नव जलहि, पोयनूअंमि नेमिनिजामो ॥ उहियं पुत्रिय वग्गं, सग्गदवग्गं लडं ने ॥ ४ ॥ सेले दसन्नकूडे, दसन्न नदस्स गवहरणहा ॥ स को देवा हिवई, निय स़ि दंसए एवं ॥ ४५ ॥ च उसहिकरि सहस्सा, सवे चउसहि अह मुहजु त्ता ॥ पश् मुहदंता अध्य, पदंत अह वावी ॥ ५० ॥ पश्वा वि अह कमला, पश् कमलं लरक पत्त पश्पत्तं ॥ बत्तीस विहं नामय, पश्कलियर यण पासा ॥५१॥ पश् पासायं श्रज, नद्दास
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