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________________ (१३४) सिरिकेवल नाण पुण बार वरिस तिहुश्रण नमंसि य ॥ रायगिहि नयरी पवित्र बाणवश वरिसाउँ ॥ सामी गोयम गुण निलो, होसे सिवपुर गठ॥५१॥ ॥ षष्ठनाषा ॥ ___॥ जिम सहकारें कोयल टहुके, जिम कुसुमव में परिमल बहेके, जिम चंदन सुगंधनिधि ॥ जिम गंगाजल लहेरें लहके, जिम कणयाचल तेजें ऊलके, तिम गोयम सौनाग्य निधि ॥ ५५ ॥ जिम मान सरोवर निवसे हंसा, जिम सुरवर सिरि कणयवतं सा, जिम महुयर राजीववनी ॥ जिम रयणायर र यणे विलसे, जिम अंबर तारागण विकसे, तिम गोयम गुणकेलि वनी ॥ ५३ ॥ पूनिम निसि जिम ससिहर सोहे, सुरतरु महिमा जिम जग मोहे, पू रव दिसि जिम सहसकरो ॥ पंचानन जिम गि रिवर राजे, नरवर घर जिम मयगल गाजे, तिम जिनशासन मुनि पवरो ॥५४॥ जिम सुरतरुवर सोहे शाखा, जिम उत्तममुख मधुरी जाखा, जि म बनकेतकी महमहे ए ॥ जिम नूमिपति जुयबल चमके, जिम जिनमंदिर घंटा रणके, तिम गोय म लब्धिहि गहगहे ए ॥ ५५ ॥ चिंतामणि कर च Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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