SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १०८ ) मिगावs, पजावई चिह्नणा देवी ॥ ए ॥ बंजी सुं दरि रूपिण, रेव कुंती सिवा जयंतीय ॥ देव दोवर धारणी, कलावई पुप्फचूलाय ॥ १० ॥ प माय गौरी, गंधारी लखमणा सुसीमाय ॥ जंबू वई सच्चजामा, रूपिणि कन्हछ महिसी ॥ ११ ॥ जरका य जरक दिन्ना, नूय तहचेव नूादिन्ना य सेणा वेणा रेणा, जयणी यूलिनस्स ॥१२॥ इच्चा इ महासङ्घ, जयंति कलंक सील कलिया ॥ श्रवि वजा जा सिं, जस पडहो तिदुखणे सयले ॥ १३ ॥ इति सतासतियोनी सझाय संपूर्ण ॥ २ ॥ ॥ अथ श्रीदेवचंदजी कृत प्रष्ट प्रवचन मातानी सद्याय प्रारंजः ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ सुकृत कल्पतरु श्रेणिनी, वर उत्तर कुरु जोमि ॥ ध्यातम रस शशिकला, श्री जिनवाणी नौमि ॥ १ ॥ दीपचंद पाठक सुगुरु, पय वंदो अ वदात ॥ सार श्रमणगुणजावना, गाशुं प्रवचन मात ॥ २ ॥ जननी पुत्र जिम शुजकरी, तिम ए पवयण माय ॥ चारित्र गुणगणवर्द्धिनी, निर्मल शिवसुखदाय ॥ ३ ॥ जाव अयोगी करण रुचि, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy