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(ए६) ॥ अथ गंठसहिय मुसहियर्नु पच्चरकाण ॥
॥ सूरे जग्गए गंठसहियं मुझसहियं पञ्चकामि चउविहं श्राहारं असणं पाणं खाश्मं सामं अन्नल णाजोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सबसमाहि वत्तिया गारेणं वोसिर ॥ इति ॥ ॥अथ दशम सायंकालें चनविहारर्नु पञ्चकाण ॥
॥ दिवसचरिमं पच्चकामि चविहंपि आहारं असणं पाणं खाश्मं साश्मं अन्नबणानोगेणं स हसागारेणं महत्तरागारेणं सबसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरश् ॥ इति दश पञ्चरकाण संपूर्ण ॥
॥अथ ॥ ॥ पोसह उच्चार करवानो विधि प्रारंजः ॥ ॥प्रथम प्रजातनुं सामायिक करी रह्या पली फरी प्रथम त्रण खमासमण आपी श्छकार सुद राश् ॥ कही पनी लाकरेण संदिसह नगवन्! शरियाव हियं पडिक्कमुंजी. एम कही, इरियावहि यंग ॥ कहीने तस्सुत्तरी० ॥ कहेवी, पड़ी एक लो गस्सनो काउस्सग्ग करवो. पनी प्रगट लोगस्स क हेवो. पनी गमणागमण एटले मारगने विषे॥ कहे .पनी श्लाकारेण संदिसह नगवन ! पोसह सामा
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