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(२०) अशुन लेश्याका लक्षणांकी अरु बोलांकी सेवना क री, अरु तीन गुन लेश्याका लक्षणांकी अरु बोलांकी विराधना करी, चर्चा वार्ता नगेरामें श्रीजिनेश्वर देवका मार्ग लोप्या गोप्या, नही मान्या, अबताकी थापना करी प्रवर्तीयां; बताकी थापना करी नही,थ रु अबताकी निषेधना नही करी, बताकी थापना अ रु अबताकी निषेधना करनेका नियम नही कस्या,क खूषता करी तथा प्रकारे झानावरणीय बंधका बो त: ऐसेंही प्रकारका दर्शनावरगाय बंधका बोल यावत् आठ कर्मकी अगुन प्रकृतिबंधका पचावन का रणें करी ब्यासी प्रकति पापांकी बांधी बंधाइ अनु मोदि मनेंकरी वचनेकरी कायायेंकरी ते मुजे धिक्का र धिक्कार वारंवार मिहामि उक्कडं ॥ एक एक बो लसें लगा कर कोडाकोडी यावत् संख्याता असंख्या ता अनंता अनंता बोल तांई में जो जाणवा योग्य बोलकों सम्यक प्रकारे जान्या नहीं, सरध्या प्ररूप्या नही तथा विपरीतपणे श्रदानादिक करी करा अनु मोदि मन वचन कायायेंकरी ते मुजे धिक्कार धिक्का र वारंवार मिजामि उक्कडं ॥ एक एक बोलसें याव त् अनंता बोलमें गमवा योग्य बोलकों बांमया नहीं
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