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प्रतिक्रमण सूत्र. केहबुं ? तो के (उहरियखंगण के०) कु.ख अने उरित जे पाप तेनुं खंमन एटले विनाश करनाकं , (अवर के०) अपर एटले बीजा (विदे हिं के०) पांच महाविदेहने विषे जे (तिबयरा के०) तीर्थंकर बे, (चिहुं दिसिविदिसि के) पूर्वादि चार दिशि अने अग्निकोणादि चार विदिशि, ए आउने विषे (जिंकेवि के०) जे कोइ पण (तीआणागयसंपश्य के०) अ तीतकाल, अनागतकाल अने संप्रति जे वर्तमानकाल, ए त्रण कालसंबंधी (जिणसवे वि के०) सर्वे जिनेश्वर ते प्रत्ये पण (वंडं के०) हुं वांदू बुं ॥३॥ हवे निरंतर स्मरणने अर्थे शाश्वता जिनप्रासादनी संख्या कहे जे.
॥ सत्ताणवश सहस्सा, लका उप्पन्न अह को डी । बत्तीस बासिआइं॥ पागंतरं॥ बत्ती
सय बासिआइं, तिअलोए चेइए वंदे ॥४॥ अर्थः-(अहकोमी के०) आठ क्रोम, (लकाबप्पन्न के०) उप्पन लाख, (सत्ताणवश्सहस्सा के०) सत्ताणुं सहस्र, (बत्तीसबा सिआई के०) बत्रीशशें ने ब्याशी, एटला (तिअलोए के०) त्रण लोकने विषे (चेश्ए के०) चैत्य एटले जिनप्रासाद बे, ते सर्वप्रत्ये ( वंदे के० ) हुं वां ९ ॥४॥ हवे पूर्वोक्त शाश्वता प्रासादोने विषे एकंदर प्रतिमानी संख्या कहे .
॥पनरस कोमि सयाई, कोमी बायाल लक अमवन्ना ॥ बत्तीस सहस असिई ॥पांगतरं॥
असिआई, सासयबिंबाइं पणमामि ॥ ५॥ अर्थः-(पनरसको मिसयाई के ) पन्नरशें कोमी एटले पंदर अब्ज, वली ( कोमीबायाल के ) बहेंतालीश कोम, (लरकसमवन्ना के०) अहा वन लाख, ( उत्तीससहसअसिई के०) बत्रीशे हजार अने उपर एंशी, (१५४२५८३६०७०) एटला पूर्वोक्त जिनप्रासादने विषे (सासयबिंबाई के०) शाश्वतां जिनबिंब डे, ते सर्व प्रत्ये (पणमामि के) हुं प्रणमुं बुं ॥५॥
॥ अथ जं किंचि ॥ ॥जं किंचि नाम तिवं, सग्गे पायालि माणुसे लोए॥ जाइं जिणबिंबाई, ताई सत्वाइं वंदामि ॥६॥इति॥१॥
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