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प्रतिक्रमण सूत्र. नंत निवास ॥त॥१॥ रमणीविजय शुजापुरी रे, जंबु विदेह मकार ॥त॥ अमरसिंह महिपालने रे, अमरावती घर नार ॥ त ॥ ११ ॥ वैजयंत थकी चवी रे, गुणमंजरीनो जीव ॥ता मानसरस जेम हसलो रे, नाम धयुं सुग्रीव ॥ त ॥ १२ ॥ वीशे वरसें राजवी रे, सहस चोराशी पुत्र ॥ता लाख पूरवसमता धरे रे, केवलज्ञान पवित्र ॥ त ॥१३ ॥ पंचमी तप महिमाविषे रे, नांखे निज अधिकार ॥ त०॥ जेणे जेहथी शिव पद लद्यु रे तेहने तस उपकार ॥ त० ॥ २४ ॥ इति ॥
॥ ढाल बही ॥ करकंठने करूं वंदणां ॥ ए देशी ॥ चोवीश दमक वारवा ॥ हुँ वारी लाल ॥ चोवीशमो जिनचंद रे ॥ हुँ वारी लाल ॥ प्रगव्यो प्राणांत खर्गयी ॥ हुं० ॥ त्रिशला उर सुखकंद रे ॥ हुं० ॥१॥ महावीरने करुं वंदना ॥ हुं० ॥ ए आंकणी ॥ पंचमी गतिने साधवा ॥ ९ ॥ पंचम नाण विलास रे॥ हुं० ॥ महानिशीथ सिद्धांतमां ॥हुं॥ पंचमी तप प्रकाश रे ॥ हुँ॥२॥ अपराधी पण उछस्यो ।हुं॥ चंग कोशीयो साप रे ॥ हुँ ॥ यज्ञ करंता बांजणा ॥हुं॥ सरखा कीधा आप रे ॥ हुँ० ॥३॥ देवानंदा ब्राह्मणी ॥हुं॥ रिखजदत्त वली विप्र रे ॥ हुं० ब्याशी दिवस संबंधथी ॥ ९० ॥ कामित पूस्यो क्षिप्र रे ॥ ९ ॥४॥ कर्म रोगने टालवा ॥ हुँ ॥ सवि औषधनो जाण रे ॥ ढुं० ॥ आदस्यो में आशा धरी ॥ हुं० ॥ मुऊ ऊपर हित आणी रे ॥ हुँ ॥ ५॥ श्रीविजय सिंह सूरीशनो ॥ हुँ ॥ सत्यविजय पंन्यास रे ॥९॥ शिष्य कपूर विजय कवि ॥९॥ चंद्रकिरण यश जास रे॥हुं॥६॥ पास पंचासरा सान्निध्ये ॥हुं॥ खिमाविजय गुरुनाम रे ॥ हुँ ॥ जिनविजय कहे मुझ हजो ॥ ९० ॥ पं चमी तप परिणाम रे ॥ ९ ॥ ७॥ कलश॥श्य वीर लायक, विर्श्वनायक, सिकिदायक, संस्तव्यो ॥ पंचमी तप सं, स्तवन टोमर, गूंथी निज, कंवें
व्यो ॥ पुण्यपाटण, क्षेत्रमांहे, सत्तर त्राएं, संवत्सरें ॥ श्रीपार्श्वजन्म, कल्याण दिवसें, सकल नवि, मंगल करे ॥॥ इति श्रीपंचमीदिनस्तवनं ॥
॥अथ आदि जिनस्तवनं ॥ गरबानी देशीमां ॥ आदिजिणंद अरिहंत जी ॥ प्रनु अमने रे ॥ तुमें द्यो दरिसन महाराज ॥ शुं कहुं तुमनें रे ॥ आठ पहोरमां एक घमी ॥ ॥ लाग्युं तमाळं ध्या न ॥ शुं॥१॥ मधुकरने मन मालती ॥ प्र॥ जिम मोराने मन मेह
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