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________________ ४०६ प्रतिक्रमण सूत्र. के०) पांच पदनी,बही (पण के०)पांच पदनी,सातमी(3 के०)बे पदनी,श्रा मी (चन के०)चार पदनी अने नवमी (तिपय के०)त्रण पदनी ए ( सक्क थय के०) नमुबुणंने विष संपदानां पद कह्यां,ते सर्व मली तेत्रीश जाणवां. हवे नमुन्नुणंनी (संपया के०) संपदाना (आश्पया के०) आदिना एटले पहेला धुरियांनां पद कहे . ( नमु के०) नमोबुणं ए पहेली (संपदार्नु प्रथम पद जाणवू,(आश्ग के०) आगराणं ए बीजी संपदानुं प्रथम पद, (पुरिसो के०) पुरिसुत्तमाणं ए त्रीजी संपदानुं प्रथम पद, ( लोग के०)लो गुत्तमाणं ए चोथी संपदानुं प्रथम पद, (अजय के०) अजयदयाणं ए पां चमी संपदानुं प्रथम पद, (धम्म के०) धम्मदयाणं ए बही संपदानुं प्रथ म पद, (अप्प के०) अप्पमिहयवरनाणदसणधराणं ए सातमी संपदानु प्रथम पद, (जिण के०) जिणाणं जावयाणं ए आग्मी संपदानुं प्रथम पद, अने (सब के०) सवन्नुणं सबद रिसिणं ए नवमी संपदानुं प्रथम पद. हवे ए शक्रस्तवनी नव संपदाउँनां नाम कहे . थोअव संपया उद, ईयरदेक वउंग तक॥ सविसेसु वनग सरूव, देन नियसमफलय मुरके ॥ ३५॥ अर्थः-श्रीअरिहंत नगवंत ते विवेकी जनोयें स्तववा योग्य डे एटला माटे नमुबुणं अरिहंताणं, जगवताणं ए बे पदनी पहेली ( थोपव संप या के०) स्तोतव्य संपदा जाणवी. पठी ते स्तववा योग्यतुं सामान्य हेतु कहेवा माटे आगराणंथी मांगीने सयंसंबुझाणं लगें त्रण पदनी वीजी ( उह के०) उघ एटले सामान्यहेतु संपदा जाणवी. पड़ी ए बीजी संप दाना अर्थने विशेषे दीपावे तेमाटे सामान्यहेतुथी (श्यरहेऊ के०) श्त रहेतु ते विशेषहेतुरूप त्रीजी संपदा जाणवी,पड़ी आद्य संपदाना अर्थने विशेषे दीपावे एटले सामान्य स्तवनानो उपयोग तेनुं कहेवू ते चोथी ( उवउंग के ) उपयोग संपदा जाणवी. पडी ए उपयोग संपदा नाज अर्थ ने हेतु सनावें करी दीपावे ते पांचमी (तकेऊ के० ) तत् हेतु सं पदा जाणवी, अथवा उपयोग हेतु संपदा जाणवी, पड़ी एज उपयोग हेतु संपदाना अर्थ गुण दीपाववा निमित्तें अर्थ विशेषे जणावे एटले कारण सहित स्तववा योग्य, स्वरूप कहेवं ते बही (सविसेसुवलग के०) Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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