SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 421
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ देववंदन नाष्य अर्थसहित. ४०१ २ बीजु “ प्रणिपात” एवं नाम श्वामिखमासमण- बे, ते थोजसू त्रमा गुरुवंदनाधिकारें वांदणामां आवशे, पण इहां चैत्यवंदन माटें नेतुं कडं . तेना अदर (अहवीसा के०) अहावीश बे. ___३ त्रीजुं “पमिकमणा सुयकंध” एवं नाम इरियावहियानुं वे ते सूत्र ना श्वामि पमिकम हांथी मांडीने यावत् गमि काउस्सग्गं लगें अ कर ( सयंव के० ) एकशोने वली उपरें ( नवनउ य के०) नवाणुं बे. ४ चोथु “शक्रस्तव" एवं नाम नमोबुणं- बे. तेना अदर (उसयस गनजया के०) बशें ने सत्ताणुं जाणवा. ___५ पांचमुं" चैत्यस्तव ” एवं नाम अरिहंतचेश्याएंगें बे, तेना अदर (दो गुणतीस के० ) बशें ने जंगणत्रीश जे. ६ बहुं “नामस्तव” एवं नाम लोगस्सनु बे, वर्तमान जिन चोवीशीना नामनुं गुणोत्कीर्तनरूप तेना अदर (उसहा के ) बशें ने शाप बे.. ७ सातमुं “श्रुतस्तव” एवं नाम पुरकरवरदीनुं ने तेना अदर (उ सो ल के० ) बशेनें शोल . आउ{ " सिन्नस्तव” एवं नाम सिझाएं बुझाणं- हे तेना अकर ( अमनउयसय के०) एकशोने अठाणुं बे. ए नवमुं“ प्रणिधान त्रिक" एबुं नाम जावंति चेश्या जावंत के वि साहु अने सेवणा आजवखंमा पर्यंत जयवीयराय ए त्रणेनुं बे. तेना अदर (वन्नसयं के०) एकशो ने बावन डे ॥ २६ ॥ इस नवकार खमासण, इरिअ सकनआइ दमेसु ॥प णिहाणेसु अ अरु, त्त वन्नसोलसय सीयाला॥२७॥ अर्थः-(इल के०) ए पूर्वे कह्या जे अदर ते अनुक्रमें अमशठ अदर (नवकार के०) नवकारने विषे जाणवा, अहावीश अदर (खमासण के०) खमासमणने विषे जाणवा, तथा एकशो नवाणुं अदर (इरिय के०) इरि या वहियाना गमि काउस्सग्गं लगें जाणवा, (१२००) अदर (सक आ दंडेसु के०) शकस्तवादिक पांच दमकने विषे अनुक्रमें जाणवा. तेमां नमुनुण ना सवे तिविदेणवंदामि लगें एड, तथा अरिहंतचेश्याणंना अप्पाणं वो सिरामि लगें शशए, तथा लोगस्सना सबलोए लगें २६०, तथा पुरस्करवर Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy