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________________ ३७६ प्रतिक्रमण सूत्र. गस्स केहवो. पनी मुहपत्ती पडिलेहीने, वांदणां बे दीजें. पली इलाका समाप्त खामणेणं अनुहिउहं अप्रिंतर परिकथं खामेलं श्छ खामे मि परिकथं एक परकाणं पन्नरस दिवसाणं पन्नरस राश्याणं जं किंचि अपत्तिअंग कही पड़ी खमासमण देश्ने श्छाका कही, परिक खामणा खामुं? एम कहीने खामणां चार खामवा. पठी देवसि प्रतिक्रमणमां वंदित्तु कह्या पड़ी वांद णां बे देश्ने त्यांथी सामायिक पारियें, त्यां सुधी देवसिनी पेठे जाणवू; पण सुअदेवयानी थोयोने ठेकाणे ज्ञानादिक्कनी थोयो कहेवी, स्तवन अ जितशांतिनुं कहेवू, सद्यायने ठेकाणे नवसग्गहरं तथा संसारदावानी चार थोयो कहेवी.अने लघुशांतिने ठेकाणे महोटी शांति कहेवी ॥इति॥ ॥ अथ चउम्मासी प्रतिक्रमण विधि ॥ ॥ ए उपर लखेला परिकना विधि प्रमाणेज बे, पण एटलो विशेष जे बार लोगस्सना काउस्सग्गने ठेकाणे वीश लोगस्सनो कानस्सग्ग करवो, अने परकीना आगारने ठेकाणे चोमासीना कहेवा. तथा तपने ठेकाणे उ केणं, बे उपवास, चार आंबिल, उ निवी, आठ एकासणां, शोल बीआस णां, चार हजार सजाय,ए रीतें कहे।इति चउम्मासी प्रतिक्रमण विधि॥ ॥ अथ सांवत्सरी प्रतिक्रमण विधि ॥ ॥ ए पण उपर लखेला परकीना विधि प्रमाणे , तथापि बार लोग स्सना काउस्सग्गने ठेकाणे चालीश लोगस्स अथवा एकशो ने शाउ नवका रनो काउस्सग्ग करवो, अने तपने ठेकाणे अहम जत्तं एटले त्रण उपवा स, उ आंबिल, नव निवि, बार एकासणां, चोवीश बेथासणां, अने बह जार सजाय, ए रीतें कहेवं तथा परकीना आगारने ठेकाणे संवत्सरीना श्रागार कहेवा ॥ इति सांवत्सरी प्रतिक्रमण विधिः॥ ॥ हवे उ आवश्यकनां नाम कहे जे ॥ ॥एक करे मिलते ए सामायिकनामा पहेलु आवश्यक, बीजं चउविसको नामा आवश्यक,त्रीजुंमुहपत्ती पमिलेहीने वांदणां बे देवां, ते वंदनावश्यक चो) देवसियं आलोई ए सूत्रकही यावत् अनुहि खामीयें,ते पमिकमणा आवश्यक, पांचमुं बे वादणां देश्ने आयरिय उवद्यायना त्रण काउस्सग्ग कीधे काउस्सग्ग नामें आवश्यक थाय. बहुं पञ्चरकाण- संजार. ते पञ्च काणनामा आवश्यक, ए आवश्यकनां नामा कह्यां. अहीं परकी, चोमा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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