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प्रतिक्रमण सूत्र. ॥ अथ रातें चविहार करवो, तेनुं पच्चरकाण ॥ ॥ दिवसचरिमं पञ्चकाइ चनविपि आदारं असणं पाणं खाश्मं साइमं अन्नबणानोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सबसमादिवत्तियागारेणं वोसिरे॥१७॥ अर्थः-( दिवसचरिमं के० ) दिवसना बेडाथी मामीने नवो सूर्य उगे त्यां सुधी (पच्चरकामि के०) पञ्चकुं बु. (चउविहं पि आहारं के०) चवि हार ते चार प्रकारना आहारने पञ्चकुं बुं. शेष अर्थ सुलन डे ॥ १७ ॥ ॥ अथ रात्रं तिविहार ते एक पाणी मोकळु राखे, तेनुं पञ्चकाण ॥
॥ दिवसचरिमं पच्चरकाश तिविपि आदारं असणं खाश्मं साइमं अन्नबणानोगेणं सहसागारेणं महत्त रागारेणं सबसमादिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥ १७ ॥ ॥अथ रात्रै उविहार ते पाणी अने खादिम मोकलु राखे,तेनुं पच्चरकाण॥ ॥ दिवसचरिमं पच्चकाइ विपि आदारं असणं खा इमं साइमं अन्नबणानोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारे णं सबसमादिवत्तियागारेणं वोसिरे ॥इति ॥१५॥
॥अथ पञ्चकाणना आगारनी गाथा ॥ दोचेव नमुक्कारे, आगारा बचेव पोरिसिए ॥ सतेवय पुरिमढे एकासणगंमि अव ॥१॥ सत्तेगहाणेसु अ, अवय अंबि लंमि आगारा ॥ पंचेव य जत्तठे, बप्पाणे चरिमचत्तारि ॥२॥ पंचचउरो अनिगहे, निवीए अनव आगारा ॥ अप्पाउ रणे पंचचन हवंति सेसेसु चत्तारि ॥४॥
॥ हवे उ प्रकारें पच्चरकाण शुरू थाय , ते कहे .॥ ॥ फासिअं, पालिअं, सोहिअं, तीरिअं, किहिअं, आरादि अं, जंच न आरादिअं, तस्स मिलामि उक्कडं ॥ इति ॥
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