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________________ ३४४ प्रतिक्रमण सूत्र. द अने उर्मनपणुं तेमना ( उपशमनाय के ) उपशमने अर्थे शांति जे , ते ( नवतु के ) हो. * तुष्टि पुष्टि इरिद्धि मांगल्योत्सवाः सदा प्राउजूतानि पा पानि शाम्यंतु उरितानि शत्रवः पराङ्मुखा लवंतु स्वाहा ॥ अर्थ-( के०) कार जे जे ते मंगलार्थज (तुष्टि के ) संतोष, (पुष्टि के) शरीरादि तोष, अथवा पुरुषार्थसाधन सामर्थ्य,(झकि के)संप त्ति, एटले धनधान्यादिबाहुल्य, (वृद्धि के०) पुत्रपौत्रादिक परिवारनो वि स्तार, (मांगल्य के०) कल्याण अने (उत्सवाः के०) पुत्रजन्म विवाहादि महोत्सव ते सर्व था, तथा (सदा के) निरंतर (प्राउजूता निके०)उत्पन्न थ यां एवांजे (पापनि के०)पापो, ते (शाम्यंतु के) शांतिने पामो. (छरिता नि के०) अशुजफलागमरूप ते पण शांतिने पामो, अने तमारा ( शत्रवः के०) वैरीयो जे बे, ते सर्व (पराङ्मुखाः के) अवधुंडे मुख जेमनुं एवा नवंतु के०) थाउँ, (स्वाहा के ) सुष्टु एटले रूमु थाह एटले कहे ॥ हवे शांतिने माटें श्री शांतिनाथने नमस्कार करतो बतो कहे . श्रीमते शांतिनाथाय, नमः शांतिविधायिने॥ त्रैलोक्यस्यामराधीश, मुकुटाच्यर्चितांघ्रये ॥१॥ अर्थः-(शांतिनाथाय के०) श्रीशांतिनाथने ( नमः के) नमस्कार थार्ज, ते श्रीशांतिनाथ केहवा जे ? तो के ( श्रीमते के० ) समवसरणा दि कि ते ने जेने एवा अने वली केहवा डे ? तो के (शांतिविधायिने के०) शांति जे पुःख पुरितोपसर्गनिवृत्तिरूप, तेने करनारा एवा, ते कोने करना रा ? तो के (त्रैलोक्यस्य के०) त्रणे लोकने, तथा वली ते केहवा ? तो के (अमराधीश के०) चोशल इंसो तेमना (मुकुट के०) मुकुट तेमणे ( अन्यर्चित के०) पूजित डे (अंघ्रये के) चरण जेमनुं एवा ॥१॥ शांतिः शांतिकरः श्रीमान् , शांतिं दिशतु मे गुरुः॥ । शांतिरेव सदा तेषां, येषां शांतिर्गदे गूदे ॥२॥ अर्थः-(शांतिकरः के०) शांतिने करनार एवा ( शांतिः के) श्रीशांति Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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