________________
संतिकरस्तव अर्थसदित. चंमा विजयंकुसि प, न्नत्ति निवाणि अच्चुआ धरणी॥ वश्रुट वृत्त गंधा, रि अंब पनमावई सिधा ॥ १०॥ अर्थः-बारमी ( चंमा के० ) चंडानामा देवी, तेरमी ( विजय के०) विजयानामा देवी, चौदमी ( अंकुसि के० ) अंकुशानामा देवी, पन्नरमी (पन्नत्ति के०) पन्नगानामा देवी, शोलमी ( निवाणि के० ) निर्वाणी नामा देवी, सत्तरमी (अञ्चुाके० ) अच्युतानामा देवी, अढारमी (धर णी के० ) धारिणीनामा देवी, उंगणीशमी ( वश्रुट के०) वैरोट्यानामा देवी, वीशमी (वृत्त के )अबुप्तानामा देवी, एकवीशमी (गंधारि के०) गांधारीनांमा देवी, बावीशमी ( अंव के० ) अंबानामा देवी नेवीशमी (पठमावई के० ) पद्मावतीनामा देवी, चोवीशमी (सिझा के०) सिझाना मा देवी. एप्रकारें चोवीश देवीयो अनुक्रमें चोवीश तीर्थंकरोनी जाणवी. ए चोवीश देवीयोना वर्ण, वाहन, हस्त, आयुकादिक सर्व प्रवचनसारोकार नामा ग्रंथना सत्तावीशमा छारमा बपाश् गयाथी श्राहिं लख्यां नयी ॥१॥
श्अ तिब रकण रया, अन्नेवि सुरा सुरी चनदावि ॥ वंतर जोइणि पमुदा, कुणंतु रकं सया अम्हं ॥१२॥ अर्थः-(श्य के०) ए प्रकारे पूर्वोक्त यद, यक्षिणी, तुमें (ति के०) चतुर्विध संघरूप जे तीर्थ, तेनुं सर्वोपजवथकी जे ( रकण के० ) पालन करवू, तेने विषे ( रया के०) तप्तर था. तथा ( अन्नेवि के०) अन्य पण ( चउहावि के) चार प्रकारना एवा पण (सुरा के०) देवता, (सुरी के०) देवीयो जे नवनपत्यादिक चार निकायनां , ते (वंतर के) घंटाक र्णादिक बावन वीर विशेष, अथवा माणिजमादि क्षेत्रपाल विशेष जाणवा. तथा ( जोणिपमुहा के )नकाली प्रमुख चोशठ योगिनी व्यंतरी विशे ष, ते (रकं के०) रदाप्रत्ये (सया के०) निरंतर आ स्तोत्रनु स्मरण क रनारा एवा ( अम्हं के०) अमोने ( कुणंतु के) करो ॥ ११॥ .. एवं सुदिहि सुरगण, सदि संघस्स संति जिणचंदो ॥
मजावि करेउ रकं, मुणिसुंदरसूरिथुअ महिमा ॥ १२ ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org