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________________ श्रावक पादिकादि संदेपातिचार. १३ शूकव्युं, गलतां कालक नाखी, गलगुं रूहुंन कीg. इंधण, बाणां, अणशो ध्यां बाल्या. तेमांही साप, खजुरा, विंठी, सरोला, मांकम, जूवा, गीगोमा साहतां मूश्रा, उहव्या, रूडे स्थानकें न मूक्या कीडी, मंकोमी, उदेही, घी मेल, कातरा; चुडेल, पतंगीया, देमकां, अलसीयां, श्यल प्रमुख जे कोश जीव विणग, विणसता उवेख्यां, चाप्या, उहव्या, हलावतां, चलावतां,पाणी बांटतां, अनेराश् काम काज करतां, निध्वंसपणुं कीधु.जीवरदा रूडी न की धी॥पहेले स्थूलप्राणातिपातव्रतविषश्यो अनेरोजे कोअतिचार प० ॥५॥ बीजे स्थूलमृषावाद विरमणबतें पांच अतिचार ॥ सहस्सा रहस्स दा रे॥ सहसात्कारें कुणहप्रत्ये अयुक्त आल दीधुं. स्वदारामंत्रनेद कीधो. अ नेराश् कुणहनो मंत्र आलोच मर्म प्रकाश्यो, कुणहने अपाय पामवा कूमी बुद्धि धरी, कूडो लेख लख्यो, जूठी साख जरी, थापणमोसो कीधो. कन्या, ढोर, नूमि संबंधिया लेहणे, देहणे, वाद वढवाम करतां मोटकुं जूतुं बोल्या ॥ बीजे स्थूलमृषावादव्रत विषश्यो अनेरो जे को० ॥पददि ॥६॥ त्रीजे स्थूलअदत्तादान विरमणव्रतें पांच अतिचार ॥ तेनाहडप्पउँगे॥ घर बाहिर, खेत्र, खले, परायुं अणमोकल्युं लीधुं, वावगुं, चोराक्ष वस्तु लीधी, चोर प्रत्ये संबल दीधुं, विरुङ राज्यादि कर्म कीधुं. कूमां मान, मापां कीधां. माता, पिता, पुत्र, मित्र, कलत्र, वंची कुणहने दीधुं. जूदी गांठ कीधी. नवा जुना सरस नीरस वस्तु तणा नेल संनेल कीधा ॥त्रीजे अ दत्तादान व्रतविषश्यो अनेरो जे कोश् अतिचार पदा० ॥७॥ __ चोथे खदारासंतोष परस्त्रीविरमणव्रतें पांच अतिचार ॥ अपरिग्गहि या इत्तर ॥ अपरिगृहीतागमन कीg, अनंगक्रीमा कीधी, विवाह कारण कीg, कामनोगतणे विषे अति अनिलाष कीधो, दृष्टिविपर्यास कीधो, आठम, चउदश तणा नियम खेर नांग्या. अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचा र, अनाचार, सुहणे खप्नांतरें हुआ ॥ चोथे मैथुन विरमणबत विषश्यो अनेरो जे को अतिचार पद दिवस ॥७॥ पांचमे स्थूलपरिग्रह परिमाणवतें पांच अतिचार ॥ धण धन्न खित्त वनू ॥ धण धन्ननुं परिमाण उपलं रखाव्यु. सोनु, रू', नवविध परिग्रह प्रमाण लीधुं नहीं, पढवू विसायुं ॥ पांचमे परिग्रहपरिमाणव्रत विषश्यो अनेरो जे कोश् अतिचार पद दिवस ॥ ए॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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