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प्रतिक्रमण सूत्र.
के० ) विस्तारो . ते सुमतिनाथ केहवा बे ? तो के ( सत् के० ) देवता जं, तेना ( किरीट के० ) मुकुट, तडूप जे ( शाणाग्र के० ) श्रृंगना खूणा एटले देवताना मुकुटना अग्रभागना खूणा तेणें (उत्तेजित के० ) अतिश यतेजवंत कीधी बे (अंधि के० ) चरण तेना ( नख के० ) नख तेनी ( यावलिः के० ) पंक्ति जेमनी एवा बे ॥ ७ ॥
हवे as श्री स्वामीने वंदन करे बे. पद्मप्रप्रनोर्देद, नासः पुष्णंतु वः श्रियम् ॥ अंतरंगारिमथने, कोपाटोपादिवारुणाः ॥ ८॥
अर्थः- ( पद्मनोः के० ) स्वामी गर्भगत थवाथी जेमनी माता रक्तपद्मनी शय्यामां सुवानो दोहोलो उत्पन्न थयो. तेमाटें पद्मप्रन कहियें. ते प्रजुनी (देहजासः के०) शरीरसंबंधी जे कांति बे, ते (वः के०) तमारी ( श्रियं के० ) कल्याणरूप लक्ष्मी जे बे, ते प्रत्यें ( पुष्णंतु के० ) पोषण करो. हवे ते श्रीपद्मप्रजनी शरीरकांति रक्तवर्णे बे, ते उपर कवि उत्प्रेक्षा
रेबे, के (अंतरंगार के० ) अंतरंग शत्रु जे मोहादिक तेमने ( मथ a ho ) मथन करवाने विषे अर्थात् दूर करवाने विषे (कोपाटोपा के० ) कोप जे क्रोध तेनो आटोप जे प्रबलपणं तेनाथीज ( इव के० ) जाणे ( अरुणा के० ) राती य होय नहिं ? ॥ ८ ॥
हवे सातमा श्री सुपार्श्व जिनने नमन करे बे. श्री सुपार्श्व जिनेंशय, महेंद्रमदितांप्रये ॥ नमश्चतुर्वर्णसंघ, गगनानोगनास्वते ॥ ९ ॥
अर्थः- (श्री सुपार्श्व के०) श्री सुपार्श्वनामा ( जिनेंद्राय के० ) श्री जिनेंद्र तेने ( नमः के०) नमस्कार हो, ते सुपार्श्वजिन केहवा बे ? तो के ( महेंद्र के० ) महोटा जे चोराठ इंद्रो, तेणें (महित के० ) पूजित बे, (घये के०) चरण जेमनां एवा तथा वली केहवा बे ? तो के ( चतुर्वर्णसंध के० ) च तुर्वर्ण जे श्रीसंघ एटले साधु, साधवी, श्रावक ने श्राविका, ते रूप जे ( गगन के० ) आकाश तेनो ( जोग के० ) प्रकाश तेनो विस्तार करवानें (जास्खते के०) सूर्यसमान बे ॥
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