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________________ नरदेसरनी सद्याय अर्थसहित. १७३ श्रेयांसकुमार, जेणे श्रीषनदेवप्रत्ये इकुरसतुं दान दीधुं, एकावनमा (कूरगमुत्र के०) कूरगमु साधु, जेणें गुरुनु कुत जेथूक ते सहित खीच मी खातां केवलज्ञान उपायुं, बावनमा ( सिङनव के) सिचंनव श्रा चार्य. जेणें पूर्वथकी श्रीदशवैकालिक सूत्र उमङ्गु, त्रेपनमा ( मेहकुमा रोथ के ) मेघकुमार श्रेणिकराजाना पुत्र, जेनें श्रीवीरप्रजुजीयें हाथीनो पूर्वलो नव संजलावीने संयममां स्थिर कीधो ॥६॥ एमाइ महासत्ता, दिंतु सुदं गुणगणेहिं संजुत्ता ॥ जेसिं नामग्गहणे, पावपबंधा विलय जंति ॥ ७॥ अर्थः-(एमाई के) इत्यादिक बीजा पण खंधकुमार, खंदकमुनि, क पिलमुनि, हिरकेशी मुनि, संयतमुनि, दमदंतमुनीश्वर, दमसारमुनीश्वर प्र मुख (महासत्ता के०) महासत्वना धरनारा एटले महोटा पराक्रमी केट लाएक ते नवेंज मोड़ गया, केटलाएक आगल मोदें जाशे, तेसर्वे मुऊ जणी ( सुहं के) शिवसुखप्रत्ये (दितु के ) द्यो, आपो, ते महास त्वा केहवा ? तो के (गुणगणेहिं के) ज्ञानादिक गुणोना गणें करी एट ले समूहें करिने ( संजुत्ता के ) संयुक्त , वली केहवा ने ? तो के ( जे सिं के) जेना ( नामग्गहणे के० ) नामग्रहण करवाथकी (पावप बंधा के) पापना प्रबंध एटले समूह जे जे, ते ( विलय के०) विनाश प्रत्ये ( जंति के० ) पामे ने एवा डे ॥ ७॥ - सुलसा चंदनबाला, मणोरमा मयणरेहा दमयंती॥ नमयासुंदरी सीया, नंदा नद्दा सुजद्दा य ॥ ७ ॥ अर्थः-एक ( सुलसा के० ) सुलसा श्री वीरस्वामीनी मुख्य श्राविका, बीजी ( चंदनबाला के०) चंदनबालिका श्रीवीरस्वामीनी प्रथम साधवी, त्रीजी (मणोरमा के० ) मनोरमा सुदर्शनशेउनी नार्या, चोथी ( मयण रेहा के०) मदनरेखा, नमिराजर्षिनी माता, पांचमी ( दमयंती के०) द मयंती नलराजानी राणी, जेनुं मस्तक दीवानी पेरें प्रकाशकारी थातुं हतुं, बही (नमयासुंदरी के०) नर्मदासुंदरी, सातमी (सीया के०) सीता सती, आठमी (नंदा के) नंदा ते अजयकुमारनी माता, तथा नवमी वज्रखा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003850
Book TitlePratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages620
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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