________________
G
वही
ह दुह नासण परु, हन सुयणह करुणिक-वाणु तुहु निरु करुणापरु; दउ जिए पास सामि सालु तुह तिहुण सामिय, जं रहि मईऊखत इय पास न सो हिय ॥ २३ ॥ जुग्गाऽजुग्ग विजा ग-नाह नहु जोयहि तुह सम, जु वणुवयोर सहाव-जाव करुणा रस सत्तम, सम विसम किं घणु-निय 5 जुवि दाह समंनन, श्य दुहि बंधव पास-नाह मर पाल थुतन ॥ २४ ॥ नय दोषह दीपयुं-मुयवि अन्नवि किवि जुग्गय, जं जोइवि
Jain Educationa Internatioresonal and Private Use www.jainelibrary.org