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पालहि चंगह ॥ २० ॥ पश् किवि कय नीराय लोय किवी पाविय सु हसय, किवि मश्मंत महंत-केवि किवि साहिय सिव पय; किवि गं जिय रिज्वग्ग-केवि जसधवालय नूयल, मश् अवहीरहि केण-पास सरणागयवबल ॥१॥ पञ्चुवया. र निरीह-नाह निप्पन्न पईयण, तुह जिण पास परोव-यार करणिक परायण, सत्तु मित्त समचित्त वि त्ति नयनिंदय सममण, मा अवही रिय ऽजुग्ग-उविमई पास निरंजण ॥शाहज बहुविहदतत्त-गत्तु तु.
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