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स्थ-बोह कंदल दल रेहणि; जाय फल जर जरिय-हरिय पुद दाह अणोम, श्य मेणि वारि
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वाह दिस पास मई मम ॥ १४ ॥ कय विकल कल्लाप वलि उल्लू रिय दुह वणु, दाविय सग्ग पवग्गमग्ग डुग्गइ गम वारण; जय जं तुह जणणण-तुल जं जलिय हि याहु, रम्मु धम्मु सो जयज- पास जय जंतु पियामहु ॥ १५ ॥ जुव पारएण निवास-दरिय परदरिसण देवय, जोइणि पूयण खित्त वाल खुद्दासुर पसुवय; तुह उत्तव सुन
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