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घंटटंकारऽवपिब्लिय, वन्दिर मल म हब-नत्ति सुरवर गंजुलिय; हब्बु फलिय पवत्त यति जुवणेवि महू सव, श्य तिहुश्रण आणंद-चंद जय पास सुहब्नव ॥ १२ ॥ नि म्मल केवल किरण-नियर विहुरिय तम पहयर, दसिय सयल पयत्थ सत्थ वित्थरिय पहायर; कलि क. लुसिय जण धूय-लोय लोयणह अ गोयर, तिमिर निरु हर पासनाह नुवणत्तय दिणयर ॥ १३ ॥ तुह समरण जल वरिस-सित्त मा. णव म मेणि, अवरावर सुहुम.
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