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मल-जसल सुहु पास पवन ॥ ९ ॥ जय विब्जल रण ऊणिर जस थ रहरिय सरीरय, तर लिय नयण विसुन्न सुन्न गग्गर गिर करुणय; त सहसति सरंत हुंति नर नासिय गुरुदर, मह विज्जवि सिज्जसइपास जय पंजर कुंजर ॥ १० 11 प पासि वियसंत नित्त पसंत प (वत्तिय, बाह पवाह पवूढ - रूढ
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दाह सुपुलश्य; मन्नइ मन्नु सजन्नुपुन्नु अप्पा सुरनर, श्य तिहु अण आणंद चंद जय पास जिणे सर ॥ ११ ॥ ॥ तुह कल्ला महेसु
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