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कएअ सुश् समारणे असुफ सजा गीय पायजाल घंटियाहि ॥ वलय मेहला कलाव नेउरा निराम सद मीसए कए अ देव नट्टियाहि हाव नार विप्पम ८पगा रहि ॥ नचिउण अंग हारएहि वंदिया य जस्स ते सुविकमा कमा तयं तिलोय सब सत्त संति कारयं । पसंत सब पाव दो समेस हं न मामि संति मुत्तमं जिणं ॥ ३१ ॥ नारायन ॥ उत्त चामर पमाग जूत्र जव मंमिया ऊय वर मगर तुरय सिरिवह सुलंबणा ॥ दीव समुद्द
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