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जत्ति संनिबिड वंदणागयाहि हुंति ते वंदिया पुणो पुणो ॥ २० ॥ ना राय: ॥ तुमहं जिणचंद, अजिरं जिअ मोहं ॥ धुय सब किलेसं, पय पणमामि ॥२॥नंदिअयं ।। थुध वंदिअयस्सारिसि गणदेव गणेह, तो देव वहांह पय पणमिअस्सा, जस्स जगुत्तम सास णयस्सा, जत्ति वसागय पिंमिश्र याहि देव वरबरसा बहुयाह सु. रवररइ गुण पंमियबाहिं ॥ ३० ॥ नासुरयं ॥ वंस सद्द तंतिताल मेलिए तिलकरानिराम सद्द मीसए
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