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वर लरकणो वचिय सोम चारुरूवं, सुइ सुह मणाजिराम परम रमगिद्य वर देव झुंडुहि निनाय म हुरयर सुगिरं ॥ ५ ॥ वेदु ॥ जिचारिगणं, जिा सब
अजि जयं जवो हरिजं ॥ पणमामि अहं पय, पावं पसमेत मे जयवं
॥ युग्मं ॥ कुरु
॥ १० ॥ रसालु जण वय दचिणावर, नरीसरो प ढमं तर्ज महा चक्कवहि जोए महपजावो || जो बावन्तरि पुरवर सइस्स वर नगर निगम जणवय व५, बत्तीसा राय वर सहसाएयाय म
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