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गया था । फिर भी उसकी लम्पटता का अन्त नहीं था । उसके अन्तःपुर सैकड़ों अपहरिता कुमारियों और सुन्दरियों से भरे पड़े थे। पश्चिमी सीमान्त के गान्धार गणतन्त्र की तेजोमती बेटी कलिंगसेना वत्सराज उदयन की प्रियतमा थी । उसके प्यार की हत्या करके, उसे भी अपनी धाक से वह बलात् ब्याह लाया था । उसने मालाकार कन्या मल्लिका के असामान्य रूपसौन्दर्य से मोहित होकर बलात् उससे ब्याह कर, उसे कोशलदेश की पट्टfert बना दिया था । लेकिन शूद्र कन्या होते हुए भी, सर्वहारा वर्ग की यह बेटी सारे आत्मिक गुणों की खान थी । उसके सुन्दर शरीर से भी अधिक सुन्दर थी उसकी आत्मा । उसने अपने सतीत्व, शील, निःशेष समर्पण और सेवा से कापुरुष अत्याचारी व्यभिचारी पति के बर्बर हृदय को जीत कर उसे चरणानत कर दिया था । एक ओर भद्र, कुलीन, अभिजातवर्गीय प्रसेनजित था, जो शोषण -पीड़न, बलात्कार की आसुरी शक्तियों का प्रतीक था, तो दूसरी ओर शोषित-दलित शूद्र सर्वहारावर्ग की बेटी मल्लिका थी, जो आत्मा के सारभूत सौन्दर्य का जीवन्त विग्रह थी । चतुर्थ अध्याय में सत् और असत्, तमस् और प्रकाश, सुर और असुर वर्ग के इस द्वंद्व का ही ठीक जीवन के स्तर पर चित्रण हुआ है ।
प्रसेनजित ने अपनी सैनिक सत्ता के आतंक के बल पर ही कपिलवस्तु के गणतंत्र की एक बेटी को ब्याह कर जन-शक्ति को पद- दलित कर देना चाहा था । लेकिन कपिलवस्तु के शाक्यों ने चतुराई बरती । उन्होंने अपनी एक स्व- औरस जात दासी - पुत्री को धोखे से शाक्य - कन्या कह कर प्रसेनजित को ब्याह दिया था । उसका पुत्र हुआ विडुढभ, जो शाक्यों का दासी-जात दलितवीर्य भागिनेय था । मानो कि उसके रूप में प्रभु वर्ग के वंशोच्छेद के लिये ही, सर्वहारा वर्ग की विपथगामी विद्रोही शक्ति ने अवतार लिया था । कथाप्रसंग ऐसा मोड़ लेता है, कि विडुढभ के सामने प्रसेनजित और शाक्य, दोनों ही अभिजात कुलीनों के षड्यंत्र का भेद खुल जाता है । तब वह सत्यानाश का ज्वालामुखी होकर उठता है, और उसके प्रलयंकर क्रोध की फूत्कार एक ओर प्रसेनजित का सर्वनाश कर देती है, तो दूसरी ओर रातोंरात वह सारे शाक्य - वंश को अपनी तलवार के घाट उतार देता है । इस प्रकार इस अध्याय में सर्वहारा दलित वर्ग और प्रभुवर्ग का चिरकालीन संघर्ष आपोआप ही चित्रित होता है, और अपनी ही जगाई हिंसा- प्रतिहिंसा की आग में, दोनों ही वर्गों के प्रतिनिधि जल कर भस्म हो जाते हैं । शाक्यों का वंश - विनाश करके लौटता हुआ विडुढभ भी राह में एक नदी पार करते हुए सैन्य सहित डूब कर स्वाहा हो जाता है । इतिहास के इस क्रिया-प्रतिक्रियाजनित दुश्चक्र का इस अध्याय में अनायास ही नितान्त, वास्तविक और जीवन्त चित्रण हो सका है।
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