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________________ २७८ नाना भोग-द्रव्यों द्वारा उनका आतिथ्य किया गया। देवांगनाओं-सी सुन्दर दासियाँ उन पर विजन डुलाती रहीं।.. __तब भद्रा सेठानी ने सप्तम खण्ड पर जा कर शालिभद्र से कहा : 'बेटा, सागर-मेखलित पृथ्वी के अधीश्वर सम्राट श्रेणिक स्वयम् तुझ से मिलने आये हैं। चतुर्थ खण्ड में विराजित वे तेरी प्रतीक्षा में हैं। जिस श्रेणिक को देखने को सारा जगत् उत्सुक रहता है, वही श्रेणिक आज तुझे देखने को उत्सुक हैं !'... शालिकुमार शून्य ताकता रह गया। वह कुछ समझ न सका। 'श्रेणिक ? यह कौन पदार्थ है, माँ ? जानती तो हो, मैं तो कोई क्रयविक्रय करता नहीं। तुम्हीं सब देखती हो। तुम्हारे काम का हो यह पदार्थ, तो जो माँगे दाम दे कर ले लो!' भद्रा सेटानी हँस पड़ीं। आस-पास घिरी वधुएँ भी एक-दूसरी से गुंथ कर, हँस-हँस कर लाल हो गईं। भद्रा ने कहा : 'श्रेणिक पदार्थ नहीं है, बेटा। वे तो चक्रवर्ती राजा हैं। वे तो हम सब प्रजाओं के स्वामी हैं। वे मेरे भी स्वामी हैं, तेरे भी स्वामी हैं।' 'मेरा भी कोई स्वामी है, माँ?' 'हाँ, बेटा राजा तो सब का स्वामी है, तो तेरा भी है ही !' 'तो मेरे ऊपर भी कोई है इस जगत् में?' 'राजा तो सब के ऊपर है, तो तेरे ऊपर भी है ही!' 'तो मैं स्वाधीन नहीं?' 'स्वाधीन यहाँ कौन है ? हर एक के ऊपर कोई है।' 'तो मैं किसी के अधीन हूँ ?' । 'अधीन यहाँ कौन नहीं ? हम सब परस्पर के अधीन हैं !' 'तो मैं स्वतंत्र नहीं ?' 'स्वतंत्र यहाँ कौन है ? ये तेरी बत्तीस अंगनाएँ, क्या ये तेरे अधीन नहीं ? और क्या तू इनके अधीन नहीं ? क्या तू इनके वशीभूत नहीं ?' 'ओ, तो मैं यहाँ बन्दी हूँ, मैं कारागार में हैं। मैं स्वाधीन नहीं ? मैं स्वतंत्र नहीं? मेरा भी कोई स्वामी है ? मेरे ऊपर भी कोई है ? हम सब एकदूसरे के दास हैं ? हम सब एक-दूसरे के बन्धन हैं ? हम सब परस्पर की बेड़ियाँ हैं ?' भद्रा सेठानी और उसकी सारी पुत्र-वधुएँ शालिभद्र के उस विक्रान्त उत्क्रान्त रूप को देख कर भयभीत हो गईं। मानो कि यह उद्यत पुरुष इसी क्षण सब कुछ को ध्वस्त कर के भाग निकलेगा। एकाएक शालिकुमार में संवेग जागृत हो उठा। वह बोला : Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003848
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages396
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size6 MB
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