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तुम्हारा संगी हूँ। अनुक्षण तुम्हें अपने ज्ञानालिंगन में ले कर, मैं तुम्हारी समग्र वेदना को निरन्तर अनुभव कर रहा हूँ। मेरा चिदेश, मेरे चिद्भाव में, अपनी चेतना से निरन्तर क्रियाशील रह कर तुम्हारे हर कम्पव, हर परिणमन के साथ, अनुकम्पित है, अनुपरिणमनशील है। मैं तुमसे नितान्त भिन्न हूँ : मैं तुम से नितान्त अभिन्न हूँ, ज्ञान के इस असंख्य-आयामी बिल्लौरीकक्ष में।
__ ओ मेरे युगतीर्थ के लोगो, तुम्हारे संकटों, सन्त्रासों, संघर्षों को, तुम्हारे युद्धों और विनाशों को, मैं अपने हृदय-कमल की इस ज्वाला और ज्योति में सतत देख रहा हूँ, सम्वेदित कर रहा हूँ, जान रहा हूँ। मेरी यह धारासार दर्शनज्ञानात्मक सहानुभूति और प्रीति, तुम्हारे साथ इतनी तदाकार और तद्रूप है, इतनी तन्मय और मर्मगामी है, कि मैं तुम्हारे भीतर-बाहर को समग्र एकाग्र अपनी आत्मा में ज्यों का त्यों अनुभव कर रहा हूँ। 'आत्मवत् सर्वभूतेषु ।'
मेरा यह सर्वात्मभावी सम्वेदन और सर्वव्यापी ज्ञान ही अपनी अंजस्रता और अविरलता में, कब कोई वैश्विक क्रिया बन जाता है, सो मेरे सिवाय और कौन जान सकता है।
ओ मेरी सर्वकालीन सार्वलौकिक प्रजाओ, मेरे लोकालोक प्रकाशी प्रभामण्डल को एकटक निहारो, और जानो कि उसमें तुम कहाँ हो, विश्व कहां है; तुम्हारे और विश्व के साथ मेरा क्या सम्बन्ध है । जानो कि तुम्हारे वर्तमान विश्व-प्रपंच में मैं कहाँ घटित हूँ, कहाँ स्पन्दित हूँ, कहाँ सन्दर्भित और सम्बन्धित हूँ।"अपनी अन्तश्चेतना को अपनी तीव्रतम वेदना की क्षुरधार से खरोंचो, और अपने उस जख्म में झाँको, और स्वयम् ही ज़ानो कि मैं उसमें कहीं सम्वेदित और सक्रिय हूँ या नहीं ? अपने समग्र आत्म से मेरे समग्र आत्म में संस्पर्शित होओ, संगुम्फित होओ, और ठीक-ठीक जानो कि तुम कौन हो, मैं कौन हूँ, यह विश्व क्या है, इसमें हमारा पारस्परिक उपग्रह, उत्तरदायित्व और सम्बन्ध क्या है ? ...
कितनी लोचभरी, लचीली, लालित्यभरी, सुनम्या और लीलामयी है यह सत्ता। कितना सहज सुलभ, सुप्राप्त है मुझे हर परमाणु, हर पदार्थ, हर प्राणि, हर हृदय, हर आत्मा । कितना प्रत्यक्ष है मुझे उनका क्षण-अनुक्षण का परिणमन । मानो कि सर्वत्र मेरा ही आत्म-रमण हो, मेरा ही हृदय-स्पन्दन हो । ___ एसी सुनम्या, मार्दवी, लचीली, ललितांगी है यह सत्ता कुमारी, कि मेरे हर समय के हर भाव के साथ यह तद्रूप तन्मय होती है, भावित होती है । मेरे मन चाहे रूपों में, द्रव्यायित और परिणमित होती है। जिस रूप में इसे
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