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________________ भीतर खुलते वातायनों पर बाहरी पृथ्वी से असम्पृक्त हो गया है। अपने ही शरीर की मूल पृथ्वी में उतर गया हूँ। रक्त-शिराओं के अन्धकार को पार कर, हड्डियों के पोलानों में व्याप्त तमस से गुजर गया हूँ। मज्जा के अति महीन घनत्व को विदीर्ण करता हुआ विशुद्ध माटी के लोक में से संक्रमण कर रहा हूँ। पुद्गल के स्कन्धों में से राहें खुल रही हैं। यहाँ उस मौलिक कार्मिक रज के सीधे संस्पर्श में हूँ, जिसके उत्तरोत्तर परिवर्द्धमान घनत्वों में से, सृष्टि में आकृतियाँ प्रकट होती हैं। यहाँ हमारी चेतना की विभिन्न परिणतियाँ ही कैसे पिण्डीकृत और भावित होती हैं, उस प्रक्रिया का साक्ष्य अनुभव में आ रहा है। ___ इस चरम और तात्विक अन्धकार की नीरन्ध्रता में एक अजीब और बेरोक व्याकुलता है। मानो कि यह अन्धता अब अपने आप में ठहर नहीं सकती। जैसे कि अभी औचक ही इसमें आँख खुल उठेगी। रह-रहकर मानो इस तमसा में प्रकाश के परमाणु तारों की तरह टिमक कर बुझ जाते हैं। अभीअभी जैसे कहीं एक निःशब्द विस्फोट होगा, और कोई विभ्राट् ज्योति जल उठेगी। कोई ऐसा उजाला, जो अन्धकार का विरोधी नहीं, अन्धकार भी जिससे बाहर नहीं, मात्र इसकी एक बहिर्मुख परिणति है । तत्व की इस अन्तरिमा में उसके सारे सम्भवित आयामों के बीज, सर्वत्र राशियों में फैले, फूटते और अँखुवाते दीख रहे हैं। "चारों ओर जैसे असंख्य खुली आँखों से घिर गया हूँ। और तब इस घनीभूत अंधियारे कर्दम से लगा कर, इसमें से फूटने वाले कमल तक की दूरी लुप्त-सी हो गई है। एक माया, एक लीला मात्र । "कितना अकेला हो गया हूँ। भयावह है यह एकाकीपन । बाहर के जगत . से, जीवन से, इस क़दर वियुक्त तो पहले कभी नहीं हुआ था। सब-कुछ से कट कर, बिछुड़ कर, इतना अकेला पड़ गया हूँ, कि इस एकलता में ठहरा नहीं जा रहा है। सब के साथ शाश्वत जुड़ाव में जीने की अनवरत साधना अब तक करता रहा। सब के प्रति अपने को इतना निःशेष दिया, कि अपने आत्म को मैंने जैसे रहने ही नहीं दिया। फिर भी क्या सब के साथ संपूर्ण योग और एकत्व सिद्ध हो सका? Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003846
Book TitleAnuttar Yogi Tirthankar Mahavir Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendrakumar Jain
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1979
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Biography
File Size6 MB
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