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तभी मेरी देह-रूप पृथ्वी पर, तुम अपना धर्म - साम्राज्य स्थापित कर सकोगे। मेरी कोमला माटियों में अपने कैवल्य के बीज बो कर ही वसुन्धरा पर तुम्हारा तीर्थंकरत्व सिद्ध और सफल हो सकेगा ।
'वे तो मेरी नज़रों से ओझल हो ही गये हैं । और यह जानते हुए भी कि तुम इस समय कहाँ खड़े हो, तुम्हारे पास आने की हिम्मत नहीं हो रही है, वर्द्धमान । अपने पराजित और म्लान नारीत्व को ले कर, किस मुँह से तुम्हारे निकट आऊँ ? जब आऊँगी, इन्हें अपने साथ अटूट युगलित लेकर ही भरीपूरी और प्रफुल्लित आऊँगी । और तब देखूंगी, कि शक्ति को इनकार करके तुम्हारे शिवत्व की सत्ता कैसे खड़ी रह पाती है !
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