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'अच्छा मां, भगवान का नाम क्या महावीर है ? देव पुकार रहा था : जय महावीर · · 'जय महावीर' । वह तो पागल ही हो गया था। मैं तो घर भाग आया।'
'और क्या-क्या देखा जंगल में, लालू !' ।
'बहुत-बहुत चीजें। क्या-क्या बतायें । नदी पार के सल्लकी वन में गये थे। वहां बड़ा सारा हाथी देखा, पूरा पहाड़। लड़के-लड़की डरकर भागे। मैंने कहा, डरो नहीं : इसको देखो। डर के मारे अधमुंदी आँखों से, सब चुपचाप मेरी उंगली के इशारों पर उसे देखने लगे। मैं एक-एक से पूछने लगा : बताओ यह क्या है ? ___'एक लड़का उसके भारी-भरकम चार पैरों को ही ताक रहा था। बोलायह तो खम्भों वाला दालान है।
'उस लड़की इला को उसके बड़े-बड़े हिलते कान बहुत भा गये। बोली-अरे यह तो मेरी माँ के धान फटकारने के सूप हैं।
'कपिल की आँखें उसके बड़े सारे पेट पर ही अटकी थीं। बोला-अरे यह तो पहाड़ है।
'एक लड़की को उसकी सूंड बहुत प्यारी लगी। बोली-यह तो केले का पेड़ है। ___'राजन उसके उजले सफेद दाँतों में लुभा गया। बोला-नदी पार जाने का पुल है।
'एक लड़का उसकी मुंहफाड़ को देखकर भयभीत हो बोला-अरे यह तो भयंकर गुफा है ! _ 'सुमीला उसके माथे के कुम्भों को देखकर बोली-यह तो मेरी अम्मा की छाती है।
'मुझे बहुत ज़ोर से हंसी आ गयी, मां। डर के मारे सब आधी आँखें मींचकर ही तो बोल रहे थे। जिसे जो याद रहा, जिसे जो दीखा, उस चौपाये का, वही बोला ।'
'फिर तू क्या बोला रे?'
'मैं तो डरा नहीं न । सो खुली आँखों पूरा प्राणी देख रहा था। मैंने कहा : अरे अन्धो, आँखें खोल कर पूरा देखो-यह तो हाथी है, हाथी : समझे कुछ ?'
'अच्छा मैं कहूँ कि वह बाघ था, तो तू क्या कहेगा?'
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