________________
परिशिष्ट
निवेदन है कि इस परिशिष्ट' के अन्तर्गत जो- 'प्रस्थानिका' प्रस्तुत है, उसे पाठक मित्र पुस्तक समाप्त कर लेने के उपरान्त ही पढ़ें। कृति और पाठक के बीच वह न आये, यह वांछनीय है। इस प्रस्थानिका' में उन सारे प्रस्थान-बिन्दुओं और महों को स्पष्ट कर दिया गया है, जिन्हें लेकर प्रान्ति हो सकती है, प्रश्न और विवाद उठ सकते हैं।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org