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वे वैशाली तो क्या, समस्त जंबूद्वीप पर अपना चक्रवर्तित्व स्थापित कर सकते हैं । अन्यथा जो भी बाजी खेलेंगे, वह हार की होगी । उस तरह, साम्राज्य पाने के बजाय, अपने ही को गँवा बैठेंगे । सावधान
·!'
'चलना की भुवन मोहिनी भुजाओं का भरा-भरा आलिंगन, मेरे चारों ओर उमड़ कर भी, मुझे समेट न पाया । मैं मौसी और माँ के चरण-स्पर्श को एक साथ झुका । दोनों बहनें एकबारगी ही मुझ पर छा कर वत्सल आल्हाद से फूट पड़ीं ।
'एकटक निहारती चेलना की उस स्थिर सजल दृष्टि में, अपनी ही चेतना का एक प्रोज्जवल विस्तार देखा मैंने ।
'मेरे साथ चलोगी, मौसी ?"
'कहाँ' · ?'
'जहाँ मैं ले जाऊँ !
'तब न आना क्या मेरे वश का होगा ?'
'तो तुम्हें लिवा ले जाने को, एक दिन राजगृही आऊँगा !'
मौसी को अपनी भावाकुलता और बाँहों पर संयम करना पड़ रहा था । मैं दोनों हाथ जोड़, मुस्कराता हुआ अनायास कक्ष से बाहर हो गया ।
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